

छत्तीसगढ़ राज्य की पहली सरकारी प्लास्टिक रिसाइकल फैक्ट्री का निर्माण बस्तर जिले में होगा। प्लास्टिक को गलाकर इसे फिर से उपयोग में लाने वाली सरकारी प्लास्टिक रिसाइकिल फैक्ट्री जगदलपुर के बुंरूगवाड़ा (बाबू सेमरा) में लगाई जा रही है। इस सरकारी फैक्ट्री के निर्माण से पर्यावरण को बचाने के साथ ही इलाके के 111 महिला समूह की 5 सौ से ज्यादा महिलाओं को रोजगार के साधन भी मिलेंगे। 5 करोड़ रुपए की लागत से फैक्ट्री के पहले चरण का कार्य होगा और इस फैक्ट्री के लगने के बाद यहां सहायक फैक्ट्रियां भी लगाई जाएंगी।
बुरूंगवाड़ा में लग रही यह फैक्ट्री करीब 22 हजार वर्ग फीट में प्लास्टिक को गलाने के लिए लगाई जा रही है। प्रदेश में सरकारी तौर पर लगने वाली रिसाइकिल वेस्ट मैनेजमेंट की यह पहली फैक्ट्री होगी। इस काम को एचडीएफसी बैंक के सीएसआर द्वारा सहायता मिल रही है। कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि प्राकृतिक सुंदरता से भरे बस्तर के वातावरण को हमेशा साफ रखने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
इसके लिए एक-एक व्यक्ति के साथ समाजों के सहयोग से भी प्रयास करने की जरूरत होगी। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र को कचरा से मुक्त रखने के लिए सीईई (सेंटर फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन) संस्था के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रिसाइकिल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एक फैक्ट्री तैयार की जा रही है।
तीन महीने के भीतर शुरू होगा प्रोडक्शन
बताया जा रहा है कि फैक्ट्री का शिलान्यास 14 सितंबर को किया जाएगा। तीन महीने में यहां प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। इस पूरे काम पर निगरानी रखने के लिए एक एप भी तैयार किया जा रहा है। इस एप के जरिए कचरा कलेक्शन से लेकर फैक्ट्री के प्रोडक्शन तक जानकारी मिल सकेगी। बुधवार को कलेक्टोरेट में बैठक भी की गई थी। बैठक में सीसीई के प्रतिनिधि शामिल हुए।
114 गांवों से जुटाएंगे कचरा
प्लानिंग के अनुसार जगदलपुर ब्लॉक के 114 गांवों से महिला स्व सहायता समूह द्वारा कचरा कलेक्ट कराया जाएघा। इसके लिए समूहों को ई रिक्शा भी मिलेगा। हर चार-पांच गांव के बीच में एक कलेक्शन सेंटर बनेगा। गांव से मिलने वाले प्लास्टिक को समूह की महिलाएं सेंटर में जमा करेंगी। इसके बाद बड़ी गाड़ी में इस कचरे को फैक्ट्री तक पहुंचाया जाएगा।
प्लास्टिक गलाकर किया जाएगा रोजगार
114 गांवों से निकला प्लास्टिक कचरा महिला समूहों से खरीद कर नए उत्पाद में बदला जाएगा। अभी प्लास्टिक की बोतल और इस तरह के प्लास्टिक की कीमत 10 से 15 रुपए किलो बिकती है। जब प्लास्टिक गलकर दाने का रूप लेगा तो यह बाजार में 55 रुपए प्रति किलो तक में बिकेगा। इस दाने को बेचने से जो फायदा होगा वह भी महिला समूह की महिलाओं को मिलेगा। इस कार्य के लिए महिलाओं और बेरोजगार युवकों को ट्रेनिंग दी जाएगी।