

Inspiring India: दुनिया में कई ऐसे लोग होते हैं जो जीवन में कहीं न कहीं हमें प्रेरित (Inspiring) करते हैं। ऐसे ही कुछ भारतीय भी हैं, जिनके काम से आप प्रेरित (Inspiring) तो होंगे ही, वहीं उनके किए गए काम से आप खुद को गौरान्वित भी महसूस करेंगे। साधारण से दिखने वाले ये लोग बहुमुखी प्रतिभा से भरे हैं और अपने काम से आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी कर रहे हैं। जानते हैं कौन हैं ये भारतीय…
जादव ” मोलाई ” पायेंग (Forest MAN of India)
भारत के जादव ” मोलाई ” पायेंग के बारे में जितना कहा या लिखा जाए कम ही है। क्योंकि इनसे मिलकर आप खुद को भारतीय कहलाने पर गर्व करेंगे। जहां आजकल लोग अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों को काट रहे हैं वहीं फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया (Forest MAN of India) कहलाने वाले पायेंग ने अकेले ही एक जंगल खड़ा कर दिया। साल 1979 में असम में भयंकर बाढ़ आई थी, इस बाढ़ ने उनके जन्मस्थान के आसपास काफी तबाही मचाई थी। बाढ़ का ही असर था कि आसपास की पूरी जमीन पर सिर्फ मिट्टी और कीचड़ ही दिखाई देता था। बाढ़ की इस तबाही को देख जादव ने सिर्फ 16 साल की उम्र में ही पेड़ लगाना शुरू कर दिया। शुरूआत में पायेंग ने गांव वालों से बात की। गांव वालों ने उन्हें पेड़ उगाने की सलाह के साथ-साथ 50 बीज और 25 बांस के पौधे दिए। जादव ने बीज बोए और उनकी देखरेख करने लगे। आज 36 साल बाद उन्होंने अपने दम पर एक जंगल खड़ा कर दिया है। जोराहाट में कोकिलामुख के पास स्थित जंगल का नाम मोलाई फॉरेस्ट उन्हीं के नाम पर रखा गया है। उनके काम के लिए उन्हें कई सम्मान दिए गए हैं, इसके अलावा साल 2015 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
डॉ. टेसी थॉमस (Missile Woman of India)
भारत में मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक, डॉ थॉमस अग्नि- IV मिसाइल की परियोजना निदेशक थीं। उन्होंने भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में जो योगदान दिया था जिसकी वजह से उन्हें ‘भारत की मिसाइल महिला’ कहा जाता है। टेसी थामस उन भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो देश के मिसाइल प्रोजेक्ट में अपना योगदान देना चाहती हैं।
सुभाषिनी मिस्त्री
साल 2018 की यह तस्वीर बयां करती है कि पैरों में चप्पल और हाथों में सर्वोच्च पुरस्कार पद्म श्री लेने वाली महिला साधारण नहीं हो सकती है। दरअसल सुभाषिनी मिस्त्री ने लगभग तीन दशकों तक कभी आया तो कभी सब्ज़ी विक्रेता के रूप में काम किया। और उन्होंने अपनी मेहनत से पाई-पाई जोड़ कर दक्षिण 24-परगना जिले के ठाकुरपुकुर इलाके में एक ‘ह्यूमैनिटी अस्पताल’ का निर्माण करवाया। ताकि किसी ग़रीब मरीज़ को इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ना पड़े। सुभाषिनी के अस्पताल में मरीजों का लगभग मुफ़्त में इलाज किया जाता है। इस काम के लिए मिस्त्री को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।