इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी कि ISRO अपने पहले ह्यूमन स्पेस-फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के अंतर्गत साल के आखिरी में दो आरंभिक मिशन अंतरिक्ष भेजेगा। जिसमें से एक मिशन गगनयान प्रोजेक्ट के तहत और दूसरे मिशन के तहत ‘व्योममित्र’ नाम की एक महिला रोबोट अंतरिक्ष भेजी जाएगी।
2024 में अंतरिक्ष जाएंगे इंडियन एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष
इन आरंभिक मिशनों का उद्देश्य यह सुनिश्चत करना है कि गगनयान रॉकेट जिस रास्ते से जाए उसी मार्ग से सुरक्षित लौटे भी। मंत्री ने कहा कि इसके बाद अगले साल 2024 में इंडियन एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएंगे। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान ये जानकारी दी है।
केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वैसे तो भारतीय मूल के व्यक्ति के रूप में राकेश शर्मा इससे पहले अंतरिक्ष यात्रा पर जा चुके हैं, लेकिन वह मिशन सोवियत रूस का अपना मिशन था, जबकि गगनयान मिशन हिन्दुस्तानी होगा और इसे बनाने वाले भी हिन्दुस्तानी वैज्ञानिक ही होंगे।
उन्होंने बताया कि गगनयान प्रोग्राम के तहत इसे आजादी के 75वें वर्ष में भेजने के बारे में सोचा गया था। लेकिन कोविड की वजह से इस प्रोजेक्ट में देरी हुई। इन अंतरिक्ष विज्ञानियों को रूस में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सूर्य पर भी जाएगा मिशन आदित्य L1
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गगनयान मिशन आत्मनिर्भर भारत का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण साबित होगा। यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में मील का पत्थर होगा। सूर्य के अध्ययन वाले मिशन आदित्य एल1 के बारे में जितेन्द्र सिंह ने कहा कि फिलहाल भारत इसकी तैयारी कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की यात्रा देरी से शुरू हुई है। जब भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में आगे बढ़ने की कल्पना की तब अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ चंद्रमा पर मानव उतारने की तैयारी पर थे।
सिंह ने यह भी बताया कि पुरानी पद्धतियों से हटकर तीन-चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी सार्वजनिक गठजोड़ के लिए खोलने का फैसला लिया है और इसके काफी अच्छे परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज हमारे देश के अनुसंधान अमेरिका और रूस की बराबरी कर रहे हैं।