जापान
के टोक्यो शहर से एक बार फिर भारतीय खिलाड़ियों का ज़ज्बा दिखेगा। उनकी ताकत और उनके शानदार आत्मविश्वास से एक बार फिर पूरा विश्व परिचित होगा। उनका खेल हम सभी को
गौरान्वित करेगी और ऊर्जा से भरेगी। 24 अगस्त से 5 सितंबर तक होने वाले पैरालंपिक
में भारतीय खिलाड़ी जगमगाएंगे।
क्या
है पैरालंपिक का इतिहास?
बात
लगभग 80 साल पुरानी है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद घायल सिपाहियों के जीवन को एक नई
दिशा देने के उद्देश्य से पैरालंपिक खेलों की शुरूआत हुई। इससे जुड़ी एक दिलचस्प
कहानी है। दरअसल ‘लुडविग गुट्टमैन’ नाम के एक न्यूरोलॉजिस्ट थे। जो कि ‘पैरालिंपिक
खेलों का फादर’ भी कहे जाते हैं। स्टोक मानडेविल अस्पताल में
लुडविन ने स्पाइनल इंजरी सेंटर खोला। उन्होंने 1948 में विश्वयुद्ध के बाद रिहैलीबिटेशन
के लिए खेल को चुना। और इसके बाद ही पैरालिंपिक गेम्स की शुरुआत हुई। सबसे पहले इन
खेलों को व्हीलचेयर गेम्स कहा गया और बाद में इसे ही पैरालंपिक के नाम से जाना गया।
पहले
पैरालंपिक गेम्स में 16 घायल सैनिक के साथ महिलाओं ने भाग लिया था। सर लुडविग का यह
प्रयोग सफल रहा। और ठीक 4 साल बाद 1952 में एक बार फिर इस स्पोर्ट्स कॉम्पिटिशन का
आयोजन किया गया। पैरालंपिक गेम्स की सफलता
को देखते हुए 22 सितंबर 1989 को इंटरनेशनल पैरालिंपिक कमिटी का गठन किया गया।
कैसी
है भारतीय खिलाड़ियों की पैरालंपिक लिस्ट ?
ओलंपिक
में इस बार भारत का प्रदर्शन अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। 7 पदक के साथ भारतीय
खिलाड़ी भारत पहुंचे। इसके अलावा उन गेम्स में भी भारतीय खिलाड़ियों का वर्चस्व
रहा जिनका पिछला कोई भारतीय इतिहास नहीं रहा हो। ऐसे में पैरालंपिक में भाग लेने
वाले भारतीय खिलाड़ियों से उम्मीद बढ़ी हुई है। भारत से इस बार कुल 54 भारतीय
खिलाड़ी टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेंगे और इसमें सबसे खास बात यह है कि हमारे
खिलाड़ियों की संख्या किसी भी देश से सबसे ज्यादा है। पिछली बार के रियो
पैरालिंपिक में भारत ने कुल चार मेडल जीते थे। जिसमें दो गोल्ड,
एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज़ शामिल था।
5
खिलाड़ियों पर रहेंगी नज़र
वैसे
तो सभी 54 खिलाड़ियों से देश को मेडल की उम्मीदें हैं पर कुछ ऐसे भारतीय खिलाड़ी
हैं, जिनके पिछले खेल का अनुभव और प्रदर्शन मेडल की उम्मीदों को बढ़ा देंगे।
देवेंद्र
झाझड़िया – देवेंद्र झाझड़िया जैवलिन थ्रोअर हैं
और पिछले दो बार से भारत के लिए गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। देवेंद्र का पहला गोल्ड
एथेंस पैरालंपिक में और दूसरा गोल्ड रियो पैरालंपिक में था। 40 साल के देवेंद्र F46 कैटेगरी के प्रतिभागी हैं। इस साल जुलाई में देवन्द्र ने 65.71 मीटर
भाला फेंक कर टोक्यो पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।
सुमित
अंतिल – हरियाणा के सुमित अंतिल भी जैवलिन
थ्रोअर हैं। और वह पुरूषों के F64 कैटेगरी में भाग
लेते हैं। इसमें वह नंबर वन रैंकिंग पर काबिज हैं। उन्होंने अपने खेल से कई
रिकॉर्ड्स तोड़े हैं और उम्मीद है वह इस साल के पैरालंपिक में भारत का परचम
लहराएंगे।
प्रमोद
भगत – उड़ीसा के प्रमोद भगत बैडमिंटन प्लेयर हैं। वह पुरूषों
के SL3 सिंगल्स में भाग लेते हैं। और वर्तमान में वह विश्व रैंकिंग में नंबर एक
पर काबिज हैं।
मरियप्पन
थंगावेलु – भारत के स्टार खिलाड़ी मरियप्पन थंगावेलु को कौन
नहीं जानता है। वह पुरूषों के T42 कैटेगरी में ऊंची
कूद के खिलाड़ी हैं। रियो ओलंपिक में उन्होंने गोल्ड जीता था। 2019 के विश्व पैरा
एथलेटिक्स चैंपियनशिप उन्होंने कांस्य पदक जीता था। मरियप्पन पैरालिंपिक में भारत
के ध्वजावाहक भी हैं। 26 साल के मरियप्पन युवा खिलाड़ी होने के साथ ही अपने खेल में
मंजे हुए खिलाड़ी हैं। जाहिर है उनसे देश को काफी उम्मीदें हैं।
इन सभी के अलावा दीपा
मलिक, मनीष नरवाल, एकता भयान, सुंदर सिंह गुर्जर जैसे पैराएथलीट
में भाग लेने वाले सभी 54 खिलाड़ियों से भारत को काफी उम्मीदें हैं।