Swach Bharat: कुरूद की स्वच्छता दीदियों की प्रेरक कहानी!

नगर पंचायत कुरूद की स्वच्छता दीदियां न केवल अपने वार्डों को स्वच्छ रख रही हैं, बल्कि सूखे कचरे को आय का साधन बनाकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। हर सुबह 15 वार्डों की 24 स्वच्छता दीदियां डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए निकलती हैं। कचरे में पुट्ठा, प्लास्टिक, शीशा, बोतल और टीना जैसी सामग्रियों को इकट्ठा कर एसएलआरएम सेंटर लाया जाता है।  

सूखे कचरे से कमाई का सफर

एसएलआरएम सेंटर में सूखे कचरे को छांटा जाता है। गीले कचरे से खाद बनाई जाती है और सूखे कचरे को पैक कर अनुबंधित फर्म को बेचा जाता है। हर महीने 30 से 50 हजार रुपये तक के सूखे कचरे की बिक्री होती है। यह राशि स्वच्छता समूह के खाते में जमा होती है और फिर इसे दीदियों में बांट दिया जाता है।  

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

स्वच्छता दीदियों को उनके काम के लिए हर महीने 7,200 रुपये का मानदेय मिलता है। इसके अतिरिक्त, सूखे कचरे की बिक्री से हर दीदी को 1,500 से 2,000 रुपये तक की अतिरिक्त आय प्राप्त होती है। पिछले एक साल में उन्होंने 3.24 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी अर्जित की है।  

पर्यावरण बचाने की अनूठी पहल

यह सिर्फ आय अर्जित करने की कहानी नहीं है, बल्कि एक स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य की दिशा में उठाया गया कदम है। गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग प्रबंधन करके ये दीदियां पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। उनका यह प्रयास न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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