Parliament security: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी कि CRPF के 1400 कर्मचारी 20 मई को संसद की सुरक्षा से हट गए। इनकी जगह CISF यानी कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाई। इसके 3300 से ज्यादा कर्मी आतंकवाद रोधी और अन्य सुरक्षा दायित्वों की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले लेंगे। जानते हैं इस बदलाव की वजह और क्यों लिया गया ये फैसला?
CISF के 3,317 कर्मी सुरक्षा में शामिल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुराने और नए संसद भवन साथ ही परिसर में स्थित दूसरी इमारतों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के कुल 3,317 कर्मियों को शामिल किया गया है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि 13 दिसंबर, 2023 को शून्यकाल के दौरान दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से लोकसभा तक पहुंच गए थे। जिसकी वजह से ये बदलाव किए गए हैं।
10 दिनों की प्रैक्टिस के बाद लिया प्रभार
इस नए बदलाव के लिए सीआईएसएफ कर्मी पिछले 10 दिनों से परिसर से परिचित होने की प्रैक्टिस कर रहे थे। स्वागत कक्ष क्षेत्र का प्रबंधन करने वाले बल के पुरुष और महिला कर्मियों को सफारी सूट के अलावा हल्के नीले रंग की पूरी आस्तीन वाली कमीज और भूरे रंग की पैंट की नई वर्दी मिलेगी।
जरूरी स्थितयों के लिए किया गया प्रशिक्षित
संसद की सुरक्षा (Parliament security) के लिए CISF कर्मियों को संसद की ड्यूटी पर भेजे जाने से पहले सामान की जांच, व्यक्तिगत तलाशी, विस्फोटक का पता लगाने व इससे निपटने, आतंकवाद रोधी त्वरित कार्रवाई, अचूक निशानेबाजी और बातचीत व शिष्टाचार की ट्रेनिंग दी गई है। सूत्रों के मुताबिक इन्हें हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के ‘ब्लैक कैट’ कमांडो के साथ भी प्रशिक्षित किया गया है।
हो सकती है वीआईपी सुरक्षा विंग में विलय
मीडिया रिपोर्ट्स ये भी कहते हैं कि पीडीजी यूनिट का सीआरपीएफ की छह बटालियन वाली वीआईपी सुरक्षा विंग में विलय किया जा सकता है। जबकि पीएसएस कर्मचारियों को केंद्र सरकार के दूसरी जगहों की सुरक्षा और प्रोटोकॉल का नया काम दिया जा सकता है। कुछ पीएसएस कर्मचारियों को मार्शल के तौर पर सदन की लॉबी का मैनेजमेंट मिल सकता है।
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सीआरपीएफ जिम्मेदारी नहीं सुरक्षा चूक
Parliament security की बात पर सीआरपीएफ अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 2023 में हुई सुरक्षा चूक के लिए वे जिम्मेदार नहीं थे। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स ये भी कहते हैं कि ये बदलाव और कई महत्वपूर्ण कारणों से हुए हैं।