छत्तीसगढ़ की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा में एक नया अध्याय जुड़ गया है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के वनांचल ग्राम पंचायत बैगीनडीह की ढोकरा बेलमेटल शिल्पकार, हीराबाई झरेका बघेल को 2023 के राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार भारत सरकार के हस्तशिल्प और वस्त्र मंत्रालय द्वारा उन्हें उनके बेहतरीन योगदान के लिए दिया गया।
ढोकरा बेलमेटल शिल्प में अद्वितीय योगदान
हीराबाई झरेका बघेल ढोकरा बेलमेटल शिल्प की जानी-मानी शिल्पकार हैं। ढोकरा शिल्प धातु की प्राचीन कला है, जिसमें पीतल और तांबे का उपयोग कर कलात्मक मूर्तियों और आभूषणों का निर्माण किया जाता है। हीराबाई बघेल की कला ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। इससे पहले भी उन्हें छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2011-12 में इस कला में बेहतरीन योगदान के लिए सम्मानित किया जा चुका है। उनके पति, मिनकेतन बघेल, को भी 2006-07 में इस क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया गया था।
शिल्प गुरु और प्रेरणास्त्रोत
हीराबाई बघेल ने अपने पिता भुलाऊ झरेका और पति मिनकेतन बघेल को अपनी कला में प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि उनके पिता और पति ने उन्हें ढोकरा बेलमेटल कला की बारीकियाँ सिखाई और उनके हर कदम पर समर्थन किया। इस पारिवारिक कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में हीराबाई का योगदान अतुलनीय है।
मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
हीराबाई बघेल की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उन्हें छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि हीराबाई जैसी कलाकारें राज्य की संस्कृति और कला को विश्वस्तर पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
Positive सार
हीराबाई झरेका बघेल की यह सफलता न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के हस्तशिल्प प्रेमियों के लिए गर्व का विषय है। उनकी कला और उनके योगदान से ढोकरा बेलमेटल शिल्प को नई पहचान मिली है। इस पुरस्कार के माध्यम से वह भविष्य में और भी ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित होंगी।