Booker Prize 2024: कौन हैं बुकर प्राइज जीतने वाली पहली जर्मन लेखिका?

Booker Prize 2024: लंदन में 2024 के लिए बुकर प्राइज विनर की घोषणा की गई। इस साल इस खिताब को अपने नाम करने वाली जर्मन लेखिका जेनी एर्पन्बैक और ट्रांसलेटर माइकल हॉफमैन को दिया गया है। उन्हें विनिंग प्राइज के रूप में 50 हजार पाउंड यानी कि लगभग 50 लाख रुपए मिलेंगे। क्या आप जानते हैं क्यों दिया जाता है ये पुरस्कार और भारत से किन्हें ये सम्मान मिला है? साथ ही ये भी जानेंगे कि कैसे किया जाता है बुकर प्राइज के लिए विजेता का चुनाव।

पहले बुकर प्राइज विनर 2024 के बारे में

मैन बुकर प्राइज 2004 ‘कैरोस’ किताब के लिए जर्मन लेखिका जेनी एर्पन्बैक और ट्रांसलेटर माइकल हॉफमैन ने जीता है। जेनी पहली जर्मन लेखिका हैं जिन्हें ये सम्मान दिया गया है वहीं माइकल हाफमैन भी ये पुरस्कार पाने वाले पहल पुरुष बन गए हैं। 57 साल की जेनी जर्मनी के बर्लिन में जन्मीं हैं। राइटर बनने से पहले वो ओपेरा की निर्देशक थीं। जेनी की किताबों में ‘The End of Days’ और ‘Go, Went, Gone’ जैसी किताबें शामिल हैं। वहीं माइकल के बारे में बात करें तो माइकल हॉफमैन की उम्र 66 साल के हैं और उन्हें “जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद करने वाला दुनिया का सबसे प्रभावशाली अनुवादक” माना गया है। कविता और साहित्यिक आलोचक के अलावा वो फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में शिक्षक भी हैं।

बुकर प्राइज के बारे में

बुकर प्राइज हर साल दिया जाता है। इस सम्मान के लिए शर्त ये है कि किताब यूके या आयरलैंड में छपी होनी चाहिए। इसे साल 1969 में शुरू किया गया था। पहला बुकर पुरस्‍कार यूके के P. H. Newby को मिला था। वहीं साल 2005 में इसकी शुरुआत मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज के रूप में की गई।

कैसे होता है विनर का चुनाव?

बुकर प्राइज के लिए विजेताओं का चयन फाउंडेशन की ओर से एक एडवायजरी कमिटी के द्वारा की जाती है। इस कमिटी में राइटर, दो पब्लिशर, एक लिटरेरी एजेंट, एक बुकसेलर, एक लाइब्रेरियन और एक चेयरपर्सन शामिल होते हैं। ये कमिटी एक जजिंग पैनल का सिलेक्ट करती है जो हर साल बदले जाते हैं। प्राइज के लिए लीडिंग क्रिटिक्स, राइटर्स और एकेडमिक जज चुना जाता है।

भारत में किन्हें मिला है ये सम्मान?

कुछ भारतीय लेखकों को भी बुकर प्राइज (Booker Prize) मिल चुका है। इनमें शामिल हैं-

  1. वी.एस. नायपॉल- इन ए फ्री स्टेट (1971)
  2. सलमान रुश्दी- मिडनाइट्स चिल्ड्रन (1981)
  3. अरुंधति रॉय- द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स (1997)
  4. किरण देसाई- द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस (2006)
  5. अरविंद अडिगा- द व्हाइट टाइगर (2008)

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जेनी एर्पन्बैक की किताब में क्या खास है?

कैरोस एक दिलचस्प किताब है। इसकी कहानी आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगी। दरअसल इसकी कहानी में आपको प्रेम, राजनीति 1989 में बर्लिन की दीवार गिरने से लेकर, जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक तक सबकुछ मिलेगा। क्रूरता, प्रेम, संवेदनशीलता को राइटर ने आज के शब्दों में बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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