भारत के कई धरोहर दुनिया को आश्चर्य से भर देते हैं। फिर वो ताजमहल हो या दक्षिण के खूबसूरत मंदिर। भारत के ऐसे ही धरोहरों में से एक है बिहार का ‘पटना विश्वविद्यालय’ जिसे ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ कहा जाता है। दिलचस्प बात ये है कि पिछले 105 सालों में इस यूनिवर्सिटी से सैंकड़ों ऐसे छात्र निकले जिन्होंने राजनीति, कला, विज्ञान सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाई है। जयप्रकाश नारायण से लेकर जेपी नड्डा तक सब यहीं से पढ़कर निकले हैं।
गौरवशाली इतिहास
साल 1912 में बंगाल से बिहार-उड़ीसा (ओडिशा) के अलग होने के बाद पटना में एक विश्वविद्यालय खोलने की मांग की गई। इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने 1913 में ‘नाथन कमेटी’ गठित की। कमेटी ने साल 1914 में रिपोर्ट सौंपते हुए पटना विश्वविद्यालय की स्थापना करने की अनुशंसा की। बाद में प्रांतीय सरकार ने 1915 में भारत सरकार को जल्द से जल्द एक अलग विश्वविद्यालय बनाने का सुझाव दिया।
जॉर्ज जे जिनिंग्स प्रथम कुलपति
पटना विश्वविद्यालय के पहले कुलपति जॉर्ज जे जिनिंग्स बने थे। तब वे बिहार-बंगाल और उड़ीसा के प्रशासनिक अधिकारी का दायित्व संभाल रहे थे। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि तब कुलपति का यह पद वेतनरहित था।
‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ की अनोखी कहानी
यूनिवर्सिटी के स्थापना के 25 सालों में ही पटना यूनिवर्सिटी को ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि इंडियन सिविल सर्विस (ICS) का सेंटर लंदन में होने के बावजूद यहां के स्टूडेंट्स काफी संख्या में ICS परीक्षा में सफल होते थे। यूनिवर्सिटी की पढ़ाई का तरीका भी ऑक्सफोर्ड जैसा ही था।
वर्तमान में पटना यूनिवर्सिटी से कई राजनेता निकले हैं, जिन्होंने देश की राजनीति की दिशा बदली है। इनमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह भी शामिल हैं।