SHINZO ABE: A tribute to my friend Abe San…ट्वीटर पर ये लिखते हुए जापान के महान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को श्रद्धांजलि दी है। दरअसल 8 जुलाई को आबे जापान के नारा इलाके में चुनावी सभा कर रहे थे जहां एक अज्ञात हमलावर के उन पर गोली चलाने के बाद आबे जान नहीं बचाई जा सकी। इलाज के लिए दौरान उनका निधन हो गया। शिंजो आबे के निधन के बाद दुनियाभर से उन्हें श्रद्धांजली दी जा रही है। पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्विटर पर कहा की- “श्री आबे के निधन से जापान और दुनिया ने एक महान दूरदर्शी खो दिया है। और, मैंने एक प्रिय मित्र खो दिया है। मेरे दोस्त अबे सान को श्रद्धांजलि…”
शिंजो आबे- भारत-जापान के रिश्तों का मजबूत स्तंभ
शिंजो आबे के से भारत-जापान के संबंधों का एक मजबूत स्तं भ ढह गया है। जापान के प्रधानमंत्री के रूप में शिंजो आबे चार बार भारत आए और उन्हें भरपूर प्यार मिला। वाराणसी के घाटों पर गंगा आरती में शरीक होने से लेकर बुलेट ट्रेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत के भविष्यस की झलक दिखाने वाले शिंजो आबे ही थे। वे उन दुर्लभ नेताओं में से एक थे जिन्हों्ने न सिर्फ जापान को आर्थिक महाशक्ति बनाया, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों से भी निपटने के लिए मजबूती दी। 2012 में जब शिंजो आबे सत्ताी में वापस आए तब नारा चला था- ‘जापान इज बैक’।
वर्तमान में जियोपॉलिटिक्स् में आबे की दूरदर्शिता साफ दिखाई देती है। 2007 में भारतीय संसद को संबोधित करते आबे ने QUAD की परिकल्पआना को दिया थी। वह ‘बेल्ट0 एंड रोड’ इनिशिएटिव के पीछे चीन के कुटिल मकसद को पहचानने वाले चुनिंदा जापानी नेताओं में शामिल थे। भारत के साथ आबे का रिश्ता केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहा वो अपने नाना के पीएम रहते भारत आए थे और बचपन में ही उनका रिश्ता भारत से खास हो गया था। शिंजो आबे के सम्मानन में भारत 9 जुलाई को राष्ट्री य शोक मना रहा है।