Guinness Book of World Records: कहते हैं कि मेहनत एक दिन बुलंदी का रास्ता जरूर अख्तियार करती है। और इस बात को सही साबित किया है हरियाणा के कार्तिक ने। दरअसल हरियाणा के कार्तिक से अमेरिका पहुंच चुका है। और 12 साल का कार्तिक अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीएससी कर रहा है। यह हैरानी की बात है कि कार्तिक ने टूटे हुए फोन के जरिए यूट्यूब की मदद से कोडिंग सीखी और लर्निंग तीन लर्निंग एप बना दिए। कार्तिक के बनाए एप के जरिए 45 हजार से ज्यादा बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है। अब उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है।
हरियाणा के रहने वाले हैं कार्तिक
दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर हरियाणा के झज्जर जिले के झासवा गांव के रहने वाले कार्तिक केवल 12 साल के हैं। कार्तिक की उपलब्धि यह है कि उन्होंने तीन लर्निंग ऐप बनाया है। लेकिन उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली है बल्कि मोबाइल फोन पर वीडियो देखकर ही कोडिंग सीखी और ऐप्स तैयार किए। जिस फोन के जरिए आठवीं कक्षा में पढ़ रहे कार्तिक ने कोडिंग सीखकर ऐप्स बनाए हैं उस मोबाइल की स्क्रीन भी टूटी हुई थी।
किसान हैं कार्तिक के पिता
कार्तिक के पिता का नाम अजीत सिंह है और पेशे से वे एक किसान हैं। कार्तिक की तीन बहनें हैं, जिनमें वे सबसे छोटे हैं। बुनियादी सुविधाओं की कमी के बावजूद कार्तिक ने ये कर दिखाया। उनके घर में न तो पढ़ने के लिए टेबल चेयर है और न ही उनके गांव झासवा में चौबीसों घंटे बिजली की सुविधा रहती है।
ऑनलाइन पढ़ाई करने के दौरान आया ऐप बनाने का ख्याल
कार्तिक का कहना है कि कोरोना काल में जिस समय स्कूल बंद थे, उनके पिता ने ऑनलाइन क्लास के लिए 8-10 हजार का एंड्रॉयड फोन खरीदा। कार्तिक ने पढ़ाई के बाद यूट्यूब पर कोडिंग और एप डेवलपमेंट के बारे में जाना। YouTube की मदद से उन्होंने खुद से ही अपना एक एप्लिकेशन बनाया। ऐप बनाते समय उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। क्योंकि उनका फोन कई बार हैंग हो जाता था और कार्तिक
कार्तिक के बनाए हैं तीन लर्निंग ऐप
पहला ऐप सामान्य ज्ञान से जुड़ा है जिसका नाम ल्यूसेंट जीके ऑनलाइन है, दूसरा ऐप श्री राम कार्तिक लर्निंग सेंटर है जिसमें कोडिंग और ग्राफिक्स डिजाइनिंग के बारे में बताया जाता है। और तीसरा एप डिजिटल एजुकेशन से जुड़ा हुआ है, जिसका नाम श्री राम कार्तिक डिजिटल एजुकेशन है। इन लर्निंग एप्लीकेशंस के मदद से वह एक संस्था से जुड़कर करीब 45 हजार जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा दे पा रहे हैं।