अक्सर ऐसा होता है कि हम बदलाव को स्वीकार करने में थोड़ा परेशान होते हैं। बदलाव अगर हमारे मुताबिक हो तो हम उसे सहज ही स्वीकार करते हैं, लेकिन वहीं अगर ये बदलाव नकारात्मक हो तो हम कहीं न कहीं परेशान होकर अपना मन खराब कर लेते हैं। लेकिन देखा जाए तो ये बदलाव हमें कहीं न कहीं एक नजरिया देते हैं। पर कैसा हो अगर हम इन बदलावों को स्वीकार कर उनसे कुछ सीखने की कोशिश करें।
लोगों को स्वीकार करना सीखें
दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं, ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें हम पसंद नहीं करते या फिर उनसे बात करने से हामारा मन खराब होता है। तो आप अगर उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते हैं, तो सहज रहें। सहज रहते हुए विनम्रता से बात करेंगे तो ऐसा होगा कि उनके पास आपसे मीठा बोलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। आपके शिष्टाचार के आगे उनकी मलिनता उन्हें बहुत छोटा महसूस कराएगी। लेकिन अगर फिर भी उनसे बात करके आप परेशान हो रहे हैं बेहतर होगा कि आप उनसे दूरी बना लें।
उम्र के साथ हमारा स्वभाव जितना लचीला होगा, उतनी जल्दी हम नई गलतियों को स्वीकार करना सीख जाएंगे। जितनी ज्यादा गलतियां हम करते हैं, उतना ही हम सीखते भी हैं, यानी कि नई गलतियां करने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
शोध ये कहते हैं कि एक उम्र के बाद गलती होना और फिर उससे सीखना ज्यादा तकलीफ देता है। जबकि जवानी में गलती करना और उससे सीखना कम तकलीफ देता है।
खुद को विनम्र बनाएं
विनम्रता या तो स्वाभाविक होती है, या धीरे-धीरे जतन करने से अपने अंदर पैदा होती है। जब एक पेड़ पर फल लगते हैं तो वह झुक हुआ होता है। इसी तरह विनम्र व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है तो उसमें भी विनम्र होकर चलने की आदत हो जाती है। जब व्यक्ति सोचता है कि जो उसे मिला है वो उसकी योग्यता के अनुरूप है या उससे ज्यादा है, तो इसे ही विनम्रता कहते हैं।
जीवन में हर पल होने वाले बदलाव स्वभाविक होते हैं, कभी बदलाव अच्छे होते हैं तो कभी गलत लगते हैं। इस बात का पता होना बेहद जरूर है कि बदलाव जीवन का हिस्सा हैं। हमें बदलाव को बिना किसी विरोध के अपना लेना चाहिए। बदलाव किसी निश्चित तारीख या समय पर निर्भर नहीं होता बल्कि, यह तो सतत प्रक्रिया है। जीवन में बदलाव का स्वागत खुशी खुश होकर करें।