देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। जो कि भारतीय इकोनॉमी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी फाइनेंशियल कंपनी मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट कहती है कि, लोन उठाव, वाहनों की बिक्री और व्यापार जैसे संकेतकों से ऐसी तस्वीर आई है। मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ग्रामीण मांग बढ़ रही है। बाजार पूरी तरह खुलने, श्रम बाजार में सुधार और ग्रामीण इलाकों में व्यापार की स्थिति सुधरने से काफी फायदा हुआ है।
रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत (अप्रैल) से खाद्य महंगाई बढ़ने के अलावा भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था कोविड महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित तो हुई थी, लेकिन, बीते कुछ महीनों में हालात तेजी से ठीक हुए हां।
12 महीने की धीमी गति के बाद 3 माह से सुधरी स्थिति
बीते तीन महीनों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में पहुंची है। इससे पहले लगातार 12 महीने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में काफी धीमापन था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बीते 3-4 महीनों से हमारा समग्र ग्रामीण गतिविधि ट्रैकर सुधार देख पा रहा है।
बेरोजगारी घटने के चार प्रमुख संकेतक
बेरोजगारी घटी: सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CNIE) की रिपोर्ट कहती है कि, सितंबर के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 8 महीनों के कम रही है। सबसे निचले स्तर पर।
दोपहिया की बिक्री में तेजी: बीते महीने देश में 11 लाख से ज्यादा दोपहिया वाहन बिके। अक्टूबर 2020 के बाद दोपहिया बिक्री का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।
कृषि लोन: रिजर्व बैंक के की मानें तो, अगस्त में कृषि लोन का उठाव 13.4% रहा। इससे पहले के 9 महीनों में कभी भी एग्री लोन ग्रोथ इतनी नहीं थी।
कृषि निर्यात: वित्त वर्ष 2022-23 में सितंबर तक देश से कृषि जिन्सों का निर्यात 27.5% बढ़ा। बावजूद इसके कि इस बीच गेहूं और चावल के निर्यात पर पाबंदियां लगाई गईं।
मजबूत हो रही ग्रामीण इकोनॉमी
संगठित और असंगठित क्षेत्रों में कर्मचारियों की नियुक्ति बढ़ी जिससे कम हुनरमंद ग्रामीणों को भी नौकरी मिल रही है।
देश में औद्योगिक गतिविधियां सामान्य होने के चलते अब शहरी इलाकों से पैसा ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रहा है।