Farmer’s Success Story: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है। आज के किसान परंपरागत खेती से हटकर नई तकनीकों (innovations in agriculture) वाली खेती कर रहे हैं। इससे जहां वे कृषि में विविधता (diversity in agriculture) को वापस ला रहे हैं वहीं दूसरी तरफ वे खुद की आय को बढ़ाकर भारतीय कृषि को नवाचार से भी जोड़ रहे हैं। ऐसे ही नवाचारों को अपनाने वाले किसानों में से एक हैं छत्तीसगढ़ के किशोर राजपूत जिन्होंने खत्म होती औषधीय कृषि को अपनाया है और इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमा (Farmer’s Success Story) रहे हैं। उनके काम को देखकर किसान अब उनसे प्रेरणा ले रहे हैं।
औषधीय फसलों की खेती से कृषि को दिया नया रूप
किशोर पारंपरिक रूप से खेती करते थे। ठीक-ठाक खेती से आमदनी भी वो कर लेते थे। लेकिन वे कृषि में हो रहे नवाचारों (innovations in agriculture) से काफी प्रभावित थे। उन्होंने ये सोचा कि पारंपरिक खेती से हटकर कुछ अलग किया जाए तभी उनका ध्यान खत्म होती औषधीय पौधों की तरफ गई जिसकी मांग दवाईयों के लिए भी किया जाता है। बस फिर क्या था किशोर ने इन्हीं फसलों की खेती को करने का फैसला लिया। उन्होंने पुरानी फसल को नवाचार से जोड़ा और आज वो अपने क्षेत्र में औषधीय खेती के लिए और भी किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार से जुड़े किशोर
किशोर ने इसकी शुरूआत के पहले काफी रिसर्च किया। उन्होंने देखा कि जिस फसल को वो करने की सोच रहे हैं उसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है। उन्होंने वहां जुड़ने के रास्ते खोजे और अपनी फसल को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचा। इस तरह उन्होंने वे न केवल स्वयं नवाचार (Farmer’s Success Story) अपना कर कम लागत में औषधीय फसलों की जैविक खेती की बल्कि अपने फसल को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर लाखों की कमाई भी की। उनकी सफलता से प्रेरित होकर राज्य और देश भर के किसानों को प्रशिक्षण देने उन्हें बुलाया गया अब वे खेती में नवाचार और जैविक खेती की तरफ लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
बेमेतरा जिला से है संबंध
किशोर राजपूत छत्तीसगढ़ के बेमेतरा के निवासी हैं। उनका जन्म बेमेतरा जिले के नगर पंचायत नवागढ़ के गांव जूनाडाडू में हुआ था। उनके पिता गेंदालाल राजपूत किसानी करते थे यहीं से उन्होंने किसानी सीखी। किशोर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से ही हुई है।
ऐसे आया औषधीय फसलों की खेती का आइडिया
किशोर के पिता और दादा आयुर्वेदिक वनस्पतियों (Ayurveda herbs) से गांव के लोगों का इलाज करते थे। इसीलिए किशोर को भी आयुर्वेद में रूचि होने लगी। लेकिन क्योंकि खेती पारंपरिक रूप से परिवार के लिए जरूरी थी इसीलिए उन्होंने पारंपरिक खेती की तरफ ही ध्यान दिया। इसके बावजूद खत्म होती औषधीय फसलों की तरफ उनका ध्यान जाने लगता था।
औषधीय और जैविक खेती की तरफ बढ़ाया कदम
किशोर की खासियत सिर्फ औषधीय खेती (Ayurveda herbs) से मुनाफा कमाना ही नहीं है बल्कि वे इसके लिए जैविक रास्ता अपनाते हैं जिससे मिट्टी की क्वालिटी खत्म न हो। उन्होंने अब तक सर्पगंधा, अश्वगंधा, मंडूकपर्णी, तुलसी, लेमनग्रास, मोरिंगा, चना, खस, चिया, किनोवा, गेहूं, मेंथा की खेती की है।
खास बात ये है कि उन्होंने सर्पगंधा की खेती से एक ही फसल में 4 लाख रुपए की कमाई की है। यह एक औषधीय गुण वाला पौधा है, जिसके फल, तने से लेकर जड़ तक का उपयोग औषधि बनाने में होता है। इसकी फसल 18 माह में पूरी तरह तैयार होती है।
अब किशोर राजपूत अपने खेत के खाली पड़े स्थानों का उपयोग कर कमाई करने की इच्छा रखते हैं इस पर भी वे कुछ ऐसे फसल लगाएंगे जो खत्म हो रहे हैं। इन औषधियों (Ayurveda herbs) की देश विदेश में अच्छी मांग है। किशोर को खेती में नवाचार के लिए सम्मान मिल चुके हैं। उनकी सफलता ये बताती है कि कुछ अलग करने की चाह अक्सर बेहतर की तरफ ले जाती है आज उनकी ये कोशिश कृषि के नए अध्याय लिख रही है।