श्रीकांत बोल्ला: आंखों से देख नहीं सकते पर अरबों की कंपनी अपने दम पर खड़े करने वाले युवा की कहानी !

श्रीकांत बोल्ला वह नाम, जो आज कई लोगों के लिए एक प्रेरणा की मिसाल हैं। वह नेत्रहीन युवा जिन्होंने सपना भी देखा और उसे पूरा भी किया। ऐसा नहीं है कि उन्होंने परेशानियों का सामना नहीं किया लेकिन उनके दृढ़संकल्प के सामने किसी की नहीं चली।

क्यों चर्चा में हैं श्रीकांत बोल्ला?

श्रीकांत एक ऐसे युवा हैं जो देख नहीं सकते हैं। सामान्य रुप से कहें तो श्रीकांत बोल्ला एक नेत्रहीन युवा हैं। पर श्रीकांत आज 483 करोड़ रुपए मूल्य वाली कंपनी के सीईओ हैं। और उन्होंने यह कंपनी अपनी मेहनत के दम पर खड़ी की है। जल्द ही उनके जीवन पर एक बॉलीवुड फिल्म बनाई जाएगी।

कौन हैं श्रीकांत बोल्ला?

31 साल के श्रीकांत का संबंध आंध्रप्रदेश से है। ग्रामीण भारत से संबंध रखने वाले श्रीकांत गरीब और अशिक्षित परिवार में जन्में थे। उनके नेत्रहीन होने की वजह से उनके परिवार ने भी बहिष्कार जैसे कुरितियों का सामना किया। जब श्रीकांत 6 साल के हुए तो उन्हें नेत्रहीनों के बोर्ड स्कूल में दाखिला मिला। माता-पिता से दूर रहने के बाद भी श्रीकांत नई व्यव्स्था में जल्दी ढल गए। यहां उन्होंने शतरंज, क्रिकेट जैसे खेल भी खेले। श्रीकांत इंजीनियर बनना चाहते थे। लेकिन श्रीकांत का स्कूल आंध्र प्रदेश राज्य शिक्षा बोर्ड के तहत आता था जहां एक नेत्रहीन को विज्ञान और गणित की पढ़ाई करने की इजाज़त नहीं थी। इस नियम के चलते श्रीकांत कला, भाषा, साहित्य और सोशल साइंस की पढ़ाई कर सकते थे। श्रीकांत ने इस नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी और वह केस जीते भी। अदालत के फ़ैसले के बाद श्रीकांत राज्य सरकार के स्कूल से विज्ञान और गणित जैसे विषयों की पढ़ाई की और परीक्षा को 98 प्रतिशत अंक से पास भी किया।

इसके बाद श्रीकांत ने मैसाचुसेट्स के कैंब्रिज के एमआईटी से मैनेजमेंट साइंस की पढ़ाई की और पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने अमेरिका में न रहने का फैसला किया। श्रीकांत देश के लिए कुछ करना चाहते थे और इसीलिए वे भारत लौट आए।

विकलांगों को नौकरी देने के लिए बनाई कंपनी

श्रीकांत का कहन है कि- उन्होंने अपने जीवन में हर एक चीज के लिए संघर्ष किया औक उनके जैसे गुरु सबके पास नहीं हो सकते जिनकी वजह से उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीखा। उन्हें एहसास हुआ कि निष्पक्ष शिक्षा व्यवस्था के लिए लड़ने का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक विकलांगों के लिए पढ़ाई के बाद नौकरी के भी सामान्य विकल्प नहीं हों। और इसीलिए श्रीकांत ने सोचा कि उन्हें अपनी ही एक कंपनी शुरू करनी चाहिए जिसमें वे शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को नौकरी दे सकें।

श्रीकांत ने साल 2012 में हैदराबाद “बोलेंट इंडस्ट्रीज़” की शुरुआत की यह एक ऐसी पैकेजिंग कंपनी है, जो इको-फ़्रेंडली प्रोडक्ट का निर्माण करती है। फिलहाल यह कंपनी483 करोड़ रुपए मूल्य की है। यहां ज्यादा से ज्यादा विकलांग लोगों के अलावा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामाना कर रहे लोगों को रोजगार दिया जाता है।

साल 2021 में श्रीकांत को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की यंग ग्लोबल लीडर्स 2021 की लिस्ट में शामिल किया गया था। और श्रीकांत को यह उम्मीद थी कि तीन सालों के अंदर ही उनकी कंपनी बोलेंट इंडस्ट्रीज़ ग्लोबल आईपीओ बन जाएगी। जहां इसके शेयर एक साथ कई अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होंगे।

श्रीकांत ने एक इंटरव्यू में कहा है कि “जब मैं किसी से मिलता हूं तो लोगों का यही सोचना होता है कि अरे यह अंधा है..कितना दुःखद है लेकिन जैसे ही मैं उन्हें यह बताता हूं कि मैं कौन हूं और मैंने क्या किया है तिब सब कुछ बदल जाता है।” श्रीकांत आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है बल्कि उन्होंने जो किया है वह अतुलनीय है। श्रीकांत भले ही देख नहीं सकते हैं लेकिन वह दुनिया को सकारात्मकता की रौशनी दिखा रहे हैं।

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Dr. Kirti Sisodhia

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