68 साल बाद ‘एयर इंडिया’ को टाटा का साथ


Welcome Back AIR INDIA ! यह ट्विट देश के दिग्गज बिजनेस मैन रतन टाटा ने उस वक्त किया, जब उन्होंने Air India की बोली जीती और एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। इस बोली को जीतने के लिए टाटा संस को 18 हजार करोड़ रूपए खर्च करने पड़े। पर यह बात हैरानी की है कि 15 हजार 300 करोड़ रूपए के कर्ज वाली कंपनी को भला कोई क्यों खरीदेगा। वो भी कर्ज से ज्यादा की कीमत पर। पर यहां बात थोड़ी इमोशन से जुड़ी है। और एयर इंडिया की कहानी भी काफी दिलचस्प है।

जोआरडी टाटा ने की थी एयर इंडिया की शुरूआत

साल 1932 में टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने एयर इंडिया को शुरू किया था। तब केवल 2 लाख निवेश से टाटा एयरलाइंस की शुरूआत हुई थी। जो बाद में एयर इंडिया हो गई। इस एयरलाइन ने अपनी पहली उड़ान 1932 में भरी जो कि कराची से मुंबई के बीच थी। और सबसे खास बात यह थी कि इस प्लेन के पायलट टाटा ग्रुप के मालिक जेआरडी टाटा ही थे। 89 सालों का एयर इंडिया का सफर काफी खास रहा-

1932- जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस शुरू की।

1946- टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया हुआ।

1948- मुंबई से लंदन की पहली अंतर्राष्ट्रीय उड़ान।

1953- राष्ट्रीयकरण किया गया। इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया नाम रखा गया।

1962- दुनिया की पहली ऑल-जेट एयरलाइन बनी।

2005- लो कॉस्ट एयरलाइन एयर इंडिया लांच हुई।

2007- भारत सरकार ने इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया को मर्ज किया।

2018- एयर इंडिया के 76 फीसदी स्टेक बेचने की घोषणा।

2020- सरकार ने 100 फीसदी स्टेक बेचने की घोषणा की।

2021- टाटा संस ने एयर इंडिया के 100 फीसदी स्टेक को 18 हजार करोड़ रूपए खरीदा।

वेलकम बैक एयर इंडिया!


देश के एविएशन क्षेत्र को उड़ान देने वाले जाआरडी टाटा और टाटा परिवार का इस एयर इंडिया से भावनात्मक जुड़ाव को रतन टाटा के ट्ववीट से ही समझ सकते हैं। उन्होंने एयर इंडिया की बोली जीतने के बाद यह ट्विट किया कि- ” टाटा समूह का एयर इंडिया की बोली जीतना एक बड़ी ख़बर है। एयर इंडिया को फिर से खड़ा करने के लिए हमें काफी कोशिश करनी होगी। हमें उम्मीद है कि इससे टाटा समूह की एविएशन इंडस्ट्री में मौजूदगी से मजबूत व्यापारिक अवसर पैदा होंगे। भावनात्मक रूप से कहें तो जेआरडी टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया ने एक समय में दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइंस में से एक का रुतबा हासिल किया था। शुरुआती सालों में एयर इंडिया का जो साख और सम्मान था, टाटा समूह को उसे फिर से हासिल करने का एक मौक़ा मिला है. जेआरडी टाटा अगर हमारे बीच होते तो उन्हें बेहद खुशी होती। ”

जेआरडी टाटा ने लड़ी थी कानूनी लड़ाई

साल 1953 में जब टाटा एयरलाइन एयर इंडिया बनी थी और सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण किया गया था, तब जेआरडी टाटा ने सरकार के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। लेकिन वह केस नहीं जीत पाए थे। पर अब एयर इंडिया की घर वापसी हो गई है। जानकारों का कहना है कि टाटा ग्रुप के नेतृत्व में यह कंपनी एक बार फिर दुनिया में अपना परचम लहराएगी।
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Dr. Kirti Sisodhia

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