आजकल लोग भविष्य में रेगुलकर इनकम पाने के लिए कई तरह की स्कीम में निवेश कर रहे हैं। नौकरी से रिटायर होने के बाद इनकम कैसे होगी ये लोगों की चिंता का विषय रहता है। आज हम आपको एक ऐसी स्कीम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें आपको बस एक बार निवेश करना है। इसके बाद आपको पूरी जिंदगी पेंशन मिलती रहेगी। रिटायरमेंट (Retirement) के बाद आपके खर्चों को पूरा करने के लिए एक नियमित आय या किसी बड़े फंड की जरूरत होती है। ऐसे में एलआईसी की सरल पेंशन योजना (LIC Saral Pension Yojana) आपके काम आ सकती है। साठ साल की उम्र के बाद पेंशन से जुड़ी तो कई योजनाएं हैं, लेकिन यहां आप इससे कम उम्र से ही पेंशन का लाभ ले सकते हैं। रिटायरमेंट बाद भी इस योजना की मदद से आप घर बैठे हर महीने अच्छी खासी रकम अर्जित कर सकेंगे। एलआईसी सरल पेंशन स्कीम एक नॉन-लिंक्ड, एकल प्रीमियम, व्यक्तिगत तत्काल वार्षिकी योजना है।
कैसे ले सकते हैं LIC की सरल पेंशन योजना?
LIC की सरल पेंशन योजना को सिंगल लाइफ या ज्वाइंट लाइफ दो तरह से लिया जा सकता है। सिंगल लाइफ में पॉलिसी किसी एक व्यक्ति के नाम पर होती है। पॉलिसीधारक (Policyholder) को अपने पूरे जीवनकाल तक पेंशन मिलती रहती है। पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाने पर बेस प्रीमियम की राशि उसके नॉमिनी को लौटा दी जाती है। ज्वाइंट लाइफ में पति और पत्नी दोनों एक साथ पेंशन ले सकते हैं। जब तक प्राथमिक पेंशनधारी जीवित रहते हैं, उन्हें पेंशन मिलती रहती है। जब उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके लाइफ पार्टनर को पेंशन मिलती है। लाइफ पार्टनर की मृत्यु के बाद बेस प्रीमियम की राशि नॉमिनी को दे दी जाती है।
सिर्फ एक बार प्रीमियम का करना होता है भुगतान
इस स्कीम के तहत किसी भी व्यक्ति को पॉलिसी खरीदते वक्त सिर्फ एक बार प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। प्रीमियम के भुगतान के बाद से ही पॉलिसीहोल्डर को पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। ये एक सिंगल प्रीमियम पेंशन प्लान है। इस प्लान में पूरी जिंदगी पॉलिसीहोल्डर को पेंशन मिलती है। सरल पेंशन योजना एक इमीडिएट एन्यूटी प्लान है, इसका मतलब पॉलिसी लेते ही आपको पेंशन मिलना शुरू हो जाता है।
LIC की सरल पेंशन योजना में कौन कर सकता है निवेश?
LIC की इस स्कीम में 40 साल से 80 साल की उम्र वाले व्यक्ति ही निवेश कर सकते हैं। पति-पत्नी साथ मिलकर भी इस सरल पेंशन प्लान को खरीद सकते हैं। पॉलिसी लेने के बाद अगर आप इसे जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो छह महीने के भीतर सरेंडर भी कर सकते हैं।