Positivity: असफलता से ज्यादा कोशिशों को करें एप्रीशिएट, बच्चों के लिए होगा फायदेमंद



वर्तमान दौर कॉम्पीटिशन का है जिसकी वजह से बच्चों के साथ ही मां-बाप पर भी काफी प्रेशर होता है। यही वजह है कि आजकल के पेरेंट्स बच्चों को बिना जरूरत के ही कई सुविधाएं उपलब्ध करवा देते हैं। वे बच्चों पर हमेशा अच्छी रैंक से पास होने के लिए दबाव भी बनाते हैं। इस तरह के प्रेशर से बच्चे कई बार अपनी क्षमता के मुताबिक परफॉर्मेंस नहीं दे पाते हैं। वे चिंता और अवसाद का शिकार भी हो जाते हैं। इसीलिए सफलता को लेकर उन पर प्रेशर नहीं डाले बल्कि उनकी असफलता पर उन्हें विश्वास सीखने की भावना से परीचित करवाएं और बेहतर कोशिश के लिए प्रेरित करें।

असफलता बड़ी बात नहीं इस पर जजमेंटल न हों

चाइल्ड माइंडसेट के क्लीनिकल साइकॉलिजिस्ट का कहना है कि बच्चों के लिए असफलता बहुत ही आम बात है। उनकी क्षमताएं परखे बगैर उन्हें जज करने की आदत खराब है। इससे बच्चे मानसिक रोगी बन सकते हैं। परिणाम ये होगा कि वे फेल होने से डरने और डटकर मुकाबला करने की बजाय इससे बचने लगेंगे । सही यही होगा कि बच्चों की कठिनाई दूर करने के लिए उन पर ध्यान दें।

फेलियर की बजाय कोशिश पर ध्यान दें

जब कभी बच्चा कागज पर फेल का रिजल्ट लेकर घर पहुंचता है तो उसके साथ डर भी साथ आती है। लिहाजा तुरंत रिएक्ट करने के बजाय उसके साथ कुछ समय बिताएं, ताकि वो अपनी बात रख सके। तुरंत सजा देना या फिर उसके रिजल्ट या विफलता का आकलन नुकसादायक हो सकता है। इससे बच्चा प्रेशर में आ सकता है। बच्चों के विचारों को जानेने की कोशिश करें। असफलता क्या सिखा सकती है, इसके बजाय बच्चे ने कैसा प्रदर्शन किया, इस पर ध्यान देने की कोशिश करें।

बच्चों के मामले में दोषारोपण ने करें। उन्हें सफलता और असफलता के पहलुओं के बारे में समझाएं। पिछली की गई गलतियों से सीखने के लिए प्रेरित करें। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करें कि बच्चा कहां पर कठिनाई का सामना कर रहा है। उसे क्या चाहिए और उसकी मानसिक स्थिति कैसी है।

बच्चों को अहसास कराएं कि आप उनके साथ हैं

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों के अंदर बैकसपोर्ट की भावना काफी काम करती है। उनकी असफलता पर उन्हें ये अहसास करवाएं कि गलती अगर हुई है तो उसे सुधारा जा सकता है। असफलता के बाद दुनिया खत्म नहीं होती है। उन्हें यह भी अहसास करवाएं कि दोबारा कोशिश करने के लिए वे अकेले नहीं हैं। उनका साथ देने के लिए आप उनके साथ हैं। ऐसा करना वास्तव में बच्चों के लिए मददगार होगा।

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Dr. Kirti Sisodia

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