COP27 क्लाइमेट समिट की शुरूआत रविवार 6 नवंबर से मिस्त्र में हो चुकी है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत दुनियाभर के लीडर्स शामिल हो रहे हैं। मिस्र के शर्म अल-शेख शहर में 6 नवंबर से 18 नवंबर तक होने वाली इस समिट में भारत की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हो रहे हैं।
COP27 बैठक में दुनियाभर के नेता क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) और इसके समाधान के विषयों पर चर्चा करेंगे। दरअसल पिछले कुछ सालों में क्लाइमेट चेंज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। इस बैठक का फोकस क्लाइमेट फाइनेंस यानी क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए आर्थिक मदद देने पर रखा गया है।
UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का संदेश
UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एंतोनियो गुटेरेस ने बैठक से कहा- विकसित देशों और गरीब देशों के बीच का अंतर COP27 में सबसे बड़ा मुद्दा है। विकसित देशों को क्लाइमेट चेंज पर डेवलपिंग कंट्रीज के साथ ऐतिहासिक समझौते पर आगे आना चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुनिया बर्बादी की तरफ जाएगी। बता दें, दरअसल, इस समझौते के तहत यही फैसला लिया गया है, कि क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए विकसित देश हर साल 100 बिलियन डॉलर का फंड गरीब देशों को दान करेंगे।
भारत ने क्या कहा?
भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत विकसित देशों से मदद मांगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि- भारत विकसित देशों से डेवलपिंग कंट्रीज के लिए फाइनेंस और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की मांग भी करेगा ताकि इन देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद हो।
COP पर है दुनिया की नजर
2022 में हालात इतने खराब हैं कि इंग्लैंड और पूरे यूरोप में लोग गर्मी से बेहाल रहे। पाकिस्तान में भारी बारिश से बाढ़ आई। भारत में पहले हीटवेव से फसलों को नुकसान पहुंचा है। अमेरिका में भी भीषण गर्मी से जंगलों में आग लगी, वहीं दूसरी तरफ बारिश से तबाही भी मची। इन सबके पीछे जलवायु परिवर्तन ही सबसे बड़ा कारण है।
COP27 समिट के लिए मिस्त्र को चुनने की वजह
जलवायु परिवर्तन के लिहाज से अफ्रीका दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है। रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्वी अफ्रीका में सूखे की वजह से 1.7 करोड़ लोग खाने की परेशानियों का सामना कर रहा है। ऐसे में किसी भी अफ्रीकी देश में क्लाइमेट चेंज समिट होने से क्लाइमेट चेंज के प्रभावों की तरफ दुनिया का ध्यान केंद्रित हो सकता है। यह 5वीं बार है जब अफ्रीका के किसी देश में जलवायु सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।