- भारत में जल्द शुरू होगी हाइड्रोजन ट्रेन
- ट्रेन में ईंधन भरने में लगता है 20 मिनट से भी कम समय
- हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले रेल वाहन को हाइड्रेल कहा जाता है
- 2017 में देश की पहली सोलर ट्रेन का संचालन शुरू हुआ था
Highlights:
Hydrogen Train In India: नए साल यानी कि 2023 से आप हाइड्रोजन ट्रेन में सफर कर सकेंगे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि, अगले साल से देश में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा। ऐसा करने के बाद भारत दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा, जहां पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें होंगी। फिलहाल केवल जर्मनी में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का ट्रॉयल हुआ है। और वहां पर जल्द ही पैसेंजर ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए 11 पैसेंजर ट्रेन की डिलिवरी भी हो गई है।
हाइड्रोजन ट्रेन
हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन ईंधन से चलाई जाती है। इसके तहत ईंधन का इस्तेमाल हाइड्रोजन इंटरनल कंबंसन इंजन या फिर हाइड्रोन फ्यूल सेल में ऑक्सीजन के रिएक्शन से होता है। सभी हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले रेल वाहन, हाइड्रेल कहलाते हैं। हाइड्रोजन ईंधन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे जीरो प्रदूषण होता है।
1000 किलोमीटर दूरी का हुआ ट्रॉयल
जर्मनी में चलने वाली हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण एल्सटॉम एस ए (Alstom SA)कंपनी के द्वारा किया गया है। डीजल से चलने वाली ट्रेनों की जगह अब येही ट्रेनें चलेंगी। कुछ दिनों पहले ही एल्सटॉम ने एक बार में 1000 किलोमीटर तक चलने वाली ट्रेनों का ट्रॉयल किया है। और इसकी अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटे है। यानी कि इस ट्रेन से एक बार ईंधन भरने के बाद 1000 किलोमीटर की दूरी तय होगी। और इसमें ईंधन 20 मिनट से भी कम समय में भरा जाएगा। ये ट्रेनें सिर्फ भाप और वाष्पित पानी का उत्सर्जन करती हैं।
फिलहाल एलस्ट्रॉम के अलावा कई अलग-अलग ट्रेन कंपनियां हाइड्रोजन ट्रेनों की टेक्नीक पर काम कर रही हैं।
भारत की सोलर ट्रेन
प्रदूषण में कमी लाने की दिशा में अहम पहल करते हुए, भारत ने साल 2017 में देश की पहली सोलर ट्रेन चलाने की शुरूआत की थी। यह एक ट्रेन डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन है। जिसे साल 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन से रवाना किया था। रेलवे ने इस ट्रेन के जरिए 21 हजार लीटर डीजल की बचत का दावा किया गया है। इससे हर साल 12 लाख रुपये की बचत भी की जाएगी।