Nagri Dubraj Rice: छत्तीसगढ़ को देश में “धान का कटोरा” के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ ने अपने नाम को सार्थक भी किया है। यहां उगाया जाने वाला नागरी दुबराज धान की किस्म विदेशों में भी पसंद की जाती है। इस सुगंधित किस्म को 2023 में जीआई टैग टैग भी मिल चुका है।
नागरी दुबराज चावल की खासियत
दुबराज चावल को छत्तीसगढ़ का बासमती भी कहा जाता है। (Nagri Dubraj Rice) नागरी दुबराज चावल छत्तीसगढ़ के चावल की दूसरी किस्म है जिसे GI टैग मिला है। इससे पहले जीरा फुल को भी जीआई टैग मिला था। नागरी दुबराज चावल सुगंधित होता है। पकने के बाद यह मुलायम होता है। साथ ही पाचन के लिए भी नागरी दुबराज चावल अच्छा होता है।
बढ़ेगी अंतरराष्ट्रीय मांग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की कोशिशों के बाद राज्य के चावल की दूसरी किस्म (Nagri Dubraj Rice)को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। इससे छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के किसानों को फायदा होगा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा लंबे समय से इस किस्म को जीआई टैग दिलाने की कोशिशें की जा रही थीं। जीआई टैग मिलने के बाद अब इस किस्म की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ने की उम्मीद है।
भगवान राम से है खास संबंध
नगरी दुबराज चावल राज्य की पारंपरिक और सुगंधित धान की प्रजाति है, जिसकी देश-विदेश में भी काफी मांग है। इस चावल की उत्पत्ति सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र से मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रृंगी ऋषि आश्रम का संबंध राजा दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति के लिए किए गए यज्ञ और भगवान राम के जन्म से है। विभिन्न शोध पत्रों में भी इस चावल का उत्पत्ति स्थल नगरी सिहावा को ही बताया गया है।
जीआई टैग क्या होता है?
जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार है, जिसमें किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी खासियत को उसके विशेष भौगोलिक क्षेत्र से जोड़ा जाता है। इसका मतलब है कि उस उत्पाद की पहचान उस स्थान से होती है जहां से वह उत्पन्न होता है।