Drone in farming: ड्रोन तकनीक से बदलेगा खेती का चेहरा!

Drone in farming: छत्तीसगढ़ में अब खेती सिर्फ हल और ट्रैक्टर से नहीं होगी, बल्कि हवा में उड़ते ड्रोन से भी होगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने एक अहम कदम उठाते हुए कैटेलिस्ट फाउंडेशन के साथ मिलकर ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने का फैसला किया है। इस केंद्र में न सिर्फ कृषि कॉलेज के स्टूडेंट्स को, बल्कि आम किसानों और ग्रामीण युवाओं को भी ड्रोन उड़ाने, संभालने और मरम्मत करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

कैटेलिस्ट फाउंडेशन का MoU

हाल ही में हुए इस समझौते (MoU) पर विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. विनय कुमार पाण्डेय और फाउंडेशन की ओर से पुष्पराज पाण्डेय ने साइन किया। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. गिरीश चंदेल की मौजूदगी में यह अनुबंध हुआ। इस पार्टनरशिप का मकसद है – छात्रों और किसानों को नई टेक्नोलॉजी से जोड़कर उन्हें फ्यूचर रेडी बनाना।

ट्रेनिंग से रोजगार की राह होगी आसान

ड्रोन ट्रेनिंग 7 से 10 दिन की होगी, जिसमें यूथ को ड्रोन ऑपरेशन, मेंटेनेंस और ओवरहॉलिंग जैसे स्किल्स सिखाए जाएंगे। इन स्किल्स की मार्केट में भारी डिमांड है, क्योंकि खेती में ड्रोन का यूज तेजी से बढ़ रहा है, फिर चाहे वो बीज बोना हो, खाद या कीटनाशक का स्प्रे करना हो या फसल की निगरानी।

क्यों जरूरी है ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर?

डॉ. चंदेल के मुताबिक, आज के समय में खेती को स्मार्ट बनाना जरूरी है। खेतों में मेहनत कम हो और काम ज्यादा, इसके लिए टेक्नोलॉजी का साथ जरूरी है। ड्रोन, किसानों के लिए गेमचेंजर टेक्नोलॉजी है। यही वजह है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत अब छात्रों को जॉब-ओरिएंटेड कोर्सेज से जोड़ा जा रहा है।

अब तक देश में सिर्फ तीन कृषि विश्वविद्यालयों में ही ड्रोन पर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हुए हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय चौथा ऐसा संस्थान बना है, जहां यह कोर्स अब ऑफिशियली शुरू हो रहा है।

महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को मौका

इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में खास तौर पर ग्रामीण एरिया की लड़कियों और महिलाओं को शामिल किया जाएगा। ट्रेनिंग में उन्हें प्रोफेशनल लेवल की नॉलेज दी जाएगी, जिससे वे भी इस फील्ड में अपना करियर बना सकें।

एक्सपीरियंस और प्लेसमेंट

यह सिर्फ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं होगा, बल्कि इसमें एक्सपर्ट्स की मदद से स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल डेमो, फील्ड विजिट और जॉब प्लेसमेंट की सुविधा भी दी जाएगी। इससे स्टूडेंट्स सिर्फ थ्योरी नहीं, बल्कि ग्राउंड लेवल पर भी ड्रोन ऑपरेशन सीख सकेंगे।

मजबूत होगा इन्फ्रास्ट्रक्चर

इस प्रोजेक्ट के तहत यूनिवर्सिटी में एक रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (RPTO) की स्थापना की जाएगी, जो DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के स्टैंडर्ड्स के अनुसार होगी। इसमें हाईटेक लैब्स, सिमुलेटर, और ट्रेनिंग ग्राउंड शामिल होंगे।

रिसर्च से इनोवेशन तक

ड्रोन टेक्नोलॉजी सिर्फ एक ऑप्शन नहीं, बल्कि भविष्य की जरूरत है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से रिसर्च, डेटा एनालिसिस, फसल की मॉनिटरिंग और इनोवेशन जैसे पहलू और भी मजबूत होंगे। ये प्रोग्राम राज्य में स्मार्ट एग्रीकल्चर को नई ऊंचाई देगा।

Dhokra Art: छत्तीसगढ़ की सबसे मशहूर शिल्प कला

खेतों में टेक्नोलॉजी की लहर

यह कदम सिर्फ एक ड्रोन ट्रेनिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खेती के तरीके बदलने, किसानों को सशक्त बनाने और युवाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में बड़ा इनिशिएटिव है। ड्रोन अब केवल फोटोग्राफी का जरिया नहीं, बल्कि खेती का भविष्य बन चुका है।

Avatar photo

Rishita Diwan

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *