आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के उपयोग से खेती-किसानी के जोखिम को कम करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। यह परियोजना एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जाएगी, जो किसानों को नई तकनीकों से परिचित कराएगी और उन्हें बेहतर कृषि प्रबंधन में मदद करेगी।
AI पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
धमतरी जिले में AI पर आधारित एग्री पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत जल्द ही होगी। इस परियोजना के तहत कृषि क्षेत्र में स्वाईल सेंसर, क्लायमेंट सेंसर, और AI संचालित तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इन उपकरणों से किसान मिट्टी की सेहत, सिंचाई प्रबंधन और मौसम की भविष्यवाणी कर सकेंगे, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में सुधार होगा।
चयनित गांव और किसान
इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए जिले के 14 गांवों और 20 किसानों को चुना गया है। इस परियोजना के पहले चरण में कुरूद, धमतरी, नगरी और मगरलोड विकासखण्डों के गांवों को शामिल किया गया है। यहां के किसानों को AI आधारित कृषि तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। खासकर, 10 किसानों को कृषि, 7 किसानों को उद्यानिकी और महिला समूहों को अंत्योदय वाटिका में काम करने का अवसर मिलेगा।
AI का कृषि में उपयोग
AI तकनीकों के तहत किसानों को खेतों में स्वाईल सेंसर और क्लायमेंट सेंसर लगाने का मौका मिलेगा, जिससे वे अपनी फसलों के लिए बेहतर फैसले ले सकेंगे। इन तकनीकों से मिट्टी की गुणवत्ता, सिंचाई, जल प्रबंधन, और कीट नियंत्रण के बारे में किसानों को सही जानकारी मिलेगी, जो उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगी। कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि महाविद्यालय के छात्रों को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा, ताकि वे कृषि क्षेत्र में उन्नति ला सकें।
प्रशिक्षण और कौशल विकास
इस परियोजना के तहत किसानों, कृषि महाविद्यालय के छात्रों, और चयनित अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। महाराष्ट्र के बारावती कृषि विज्ञान केंद्र का भ्रमण कराया जाएगा, जहां किसान उन्नत AI तकनीकों के बारे में जान सकेंगे। इसके साथ ही, इस परियोजना से युवा कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स और कैरियर बनाने के लिए भी प्रेरित होंगे, जिससे वे व्यावसायिक रूप से कौशल विकास कर सकेंगे।
परियोजना के लाभ
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य खेती में जोखिम कम करके किसानों की आय में वृद्धि करना है। AI संचालित सटिक कृषि तकनीकों के माध्यम से किसानों को मिट्टी की सेहत, सिंचाई और जल प्रबंधन के बारे में सही जानकारी मिलेगी। इससे न सिर्फ उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि वे अधिक लाभ प्राप्त करेंगे। इसके अलावा, युवा किसानों को कृषि तकनीकों में करियर बनाने के भी मौके मिलेंगे।