Green और Sustainable घर भारतीय परंपरा का हिस्सा, पर्यावरणीय स्थिरता के लिए भारत के नक्शे कदम पर चलने को तैयार वैश्विक अर्थव्यवस्था!



भारतीय संस्कृति में जितनी खूबसूरती खान-पान, परिधान और कला में दिखाई देती है, उतनी ही खूबसूरती यहां के रहन-सहन में भी मिल जाएगी। फिर चाहे आप उत्तर भारत के किसी ग्रामीण घर के आंगन की बात करें या फिर दक्षिण भारत के प्राणंगम की बात हो। इसे उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं, जैसे घरों के आंगन ग्राउंट वॉटर सिस्टम को रिचार्ज करते हैं, तुलसी का पौधा आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है जो आस-पास के वातावरण को साफ करता है, मिट्टी के घर कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के साथ ही बायोडिग्रेडेबल (biodegradable) होते हैं। खास बात ये है कि ये सभी भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं। भले ही डेवलपमेंट की दौड़ में ये सब कहीं खोते जा रहे हों, लेकिन बड़े-बड़े विकसित देश Green और Sustainable homes की तरफ रुख कर रहे हैं।

Green और Sustainable घर का भारत में भविष्य

हाल के वर्षों में, Green और Sustainable जीवन की अवधारणा ने दुनिया भर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (economy) और सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के रूप में फिलहाल भारत की पहचान है। जो भविष्य में पर्यावरणीय स्थिरता (environmental sustainability) के मामले में बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकता है। तेजी से शहरीकरण, बढ़ती ऊर्जा मांग और किफायती आवास (affordable housing) की जरूरत ने पारंपरिक रियल एस्टेट के पैटर्न को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। नतीजा ये हुआ कि भारत में रियल एस्टेट उद्योग Green और Sustainable घरों की ओर एक आदर्श बदलाव को देख रहा है। इसका परिणाम ये हुआ कि अब Green और Sustainable घर रियल एस्टेट भविष्य के रूप में स्थापित हो रहे हैं, जो ऐसे मकान बनाए जिनमें इमारतें 30% तक ऊर्जा और 50% पानी बचाने की क्षमता रखे।

ग्रीनहाउस गैस इमीशन को कम करने, energy efficiency में सुधार और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable energy) सोर्स को अपनाने पर ध्यान देने के साथ, भारत काफी एक्टिव तरीके से Green और Sustainable होने की दिशा में चल रहा है।

भविष्य की जरूरत

भारत में Green और Sustainable घर energy efficiency से कहीं आगे है। भारत में लोग पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए innovative design elements, ड्यूरेबल मटेरियल्स और एडवांस टेक्नॉलजी को शामिल करने की दिशा कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे घर सोलर एनर्जी और विंड पॉवर जैसे रिन्यूएबल एनर्जी के इस्तेमाल को प्राथमिकता देते हैं। यही नहीं ऐसे घर फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को तो कम करते हैं साथ ही कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक होते हैं।

कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मददगार

Green और Sustainable घरों का प्राथमिक लक्ष्य कार्बन फुटप्रिंट (carbon footprint) को कम करना है। ये घर ऊर्जा-कुशल उपकरणों और लाइटिंग सिस्टम पर भी ध्यान आकर्षित करते हैं, जो बिजली की खपत को काफी कम करने में सहायक होते हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी ऐसे मकान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कम कार्बन वाली जीवनशैली को बढ़ावा देकर, ये घर जलवायु परिवर्तन को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाने का काम कर रहे हैं।

लागत बचत (cost savings)

भारत में ग्रीन हाउस, एडवांस टेक्नॉलजी के इंटीग्रेशन के जरिए एनर्जी एफिसिएंशी पर जोर देते हैं। स्मार्ट थर्मोस्टेट, energy-efficient appliances और सही इन्सुलेशन जैसी सुविधाएँ ऊर्जा की खपत और उपयोगिता बिल को कम करती है। यही नहीं घर के मालिक लंबे समय में महत्वपूर्ण कॉस्ट सेविंग भी कर पाते हैं, क्योंकि इन घरों की operating cost पारंपरिक घरों की तुलना में काफी कम है। वर्षा जल संचयन प्रणालियों (rain water harvesting systems) और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों (waste water treatment plants) के साथ ही ये जल संरक्षण का भी विशेष ध्यान इन घरों में होता है।

हेल्दी वातावरण

Sustainable घरों में रहने वाले लोग स्वास्थ्य के मामले में भी काफी धनी होते हैं। इसके लिए ग्रामीण लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी (life expectancy) को उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं। वे नॉन टाक्सिक, पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री का इस्तेमाल घर बनाने के लिए करते थे। ये इनडोर एयर पॉल्युशन को कम करते हैं और इनडोर एयर क्वालिटी को बढ़ाते हैं। सही वेंटिलेशन सिस्टम, नेचुरल लाइट और एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता को ये पूरा करते हुए आरामदायक रहने का वातावरण सुनिश्चित करते हैं।

सरकारी पहल और प्रोत्साहन

भारत सरकार हरित और टिकाऊ आवास (Green and Sustainable homes) के महत्व को समझती है, यही वजह है कि इसके विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी तौर पर कई पहल शुरू किए गए हैं। बिल्डिंगी की क्वालिटी का सही मूल्यांकन हो इसके लिए ग्रीन रेटिंग” (जीआरआईएचए) और “ऊर्जा और पर्यावरण डिजाइन में नेतृत्व” (एलईईडी) प्रमाणपत्रों को लाया गया है। इसके अलावा उन घर खरीदारों और डेवलपर्स को वित्तीय प्रोत्साहन और टैक्स बेनीफिट्स के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है जो Green और Sustainable स्ट्रक्चर का चुनाव करते हैं। इन सरकारी पहलों ने भारत में हरित रियल एस्टेट के विकास को आगे बढ़ाने में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सस्टेनेबल हाउस भारत के भविष्य के रूप में तेजी से उभर रहे हैं। वे स्वस्थ जीवन और मजबूत सामाजिक तानाबाना का निर्माण करते हैं। साथ ही पर्यावरणीय जागरूकता, ऊर्जा दक्षता और लागत बचत को एक स्टैंडर्ड भी प्रदान करते हैं। 

पर्यावरण-अनुकूल रहने की जगहों की बढ़ती मांग और नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से सरकार के समर्थन के साथ, ग्रीन और सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल देश में आगे बढ़ने को तैयार है। वक्त है पर्यावरण हितैषी कार्यों के साथ ही उन संभावनाओं को तलाशना जो हमें एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य के लिए तैयार करे।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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