‘Sustainable Development Goals’ की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है सरकार की पॉलिसी, जानें कैसे?



Air Pollution को रोकने के लिए EV (इलेक्ट्रानिक वाहनों) का चलन तेजी से बढ़ा है। इलेक्ट्रानिक वाहनों के इस्तेमाल से भारत में साल 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कदम बढ़ाया जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर इस समय 17 अलग-अलग एस.डी.जी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) हासिल करने की दिशा में हर देश तेज़ी से प्रयासरत् हैं। इनमें अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन, जलवायु संरक्षण, लक्ष्य प्राप्त करने के लिए साझेदारी, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, इनोवेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर, सस्टेनेबल सिटी और कम्युनिटी, शहरी ट्रैफिक क्राउड, कार्बन उत्सर्जन, वायु प्रदूषण और संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों में परिवहन क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहनों पर बढ़ी निर्भरता

इलेक्ट्रिक वाहन क्लाइमेट-टेक वर्टिकल को हमारे रहने लायक स्वस्थ पर्यावरण प्रदान करने में मददगार साबित हो रहे हैं। कई वाहन निर्माता कंपनियां जलवायु परिवर्तन से निपटने और जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी अपनी भूमिका निभाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे में सरकार ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई पॉलिसी की शुरुआत की है। इनमें से एक है बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

इसके अनुसार राज्यों की राजधानी और 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर इस पॉलिसी में शामिल होंगे। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी की प्राथमिकता में वे शहर प्राथमिक होंगे, जहां टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नीति आयोग ने 5 जून तक इस मसौदे पर फीडबैक की मांग की है।

बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के मुख्य प्रावधान

1. बिना बैटरी होगी बिक्री
ड्राफ्ट में यह सिफारिश की गई है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की कीमत कम रखी जाए। और बिना बैटरी वाहन के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी मिले। ग्राहक अपनी सुविधानुसार इनमें बैटरी लगवा सकेंगे।

 2. बैटरी स्वैपिंग स्टेशन
बैटरी स्टेशन स्वैपिंग स्टेशन किसी भी लोकेशन पर लगाया जा सकेगा। इसके लिए कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी पात्र होंगे। स्वैपिंग स्टेशन पर तकनीकी खूबियां, सुरक्षा और परफॉर्मेंस के मानक लागू होंगे।

3. टैक्स
GST काउंसिल को यह सलाह दी गई है कि EV की बैटरी और पुर्जों पर टैक्स की दरों में अंतर कम किया जाए। बैटरी पर फिलहाल 18% जीएसटी है, जबकि ईवी पर सिर्फ 5% टैक्स लिया जाता है।

बैटरी-एज-अ-सर्विस मॉडल के तहत शुरू होगी बैटरी स्वैपिंग सुविधा

नीति आयोग की तरफ से कहा गया है कि बैटरी स्वैपिंग सुविधा बैटरी-एज-अ-सर्विस (बास) मॉडल के तहत शुरू की जाएगी। इसमें ईवी और बैटरी के बीच इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित होगी, ताकि एक ऐसी सफल व्यवस्था बन सके कि बैटरी स्वैपिंग वैकल्पिक सुविधा हो। इसका मतलब है कि फिक्स्ड बैटरी वाले ईवी और स्वैपेबल बैटरी वाले ईवी, दोनों तरह के वाहनों का चलन साथ-साथ बढ़े।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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