
FightRight “JUSTICE A REALITY FOR ALL”
एक ऐसा स्टार्टअप जो न्याय दिलाने में मदद करता है। सुनने में थोड़ा आश्चर्य लगेगा लेकिन ये बिल्कुल सही है। दरअसल FightRight नाम का ये एप टेक्नोलॉजी की मदद से कंपनी, दावेदारों को उनकी मुकदमेबाजी के हर चरण में सहायता उपलब्ध करवाती है। साथ ही इसे सस्पेंस-मुक्त (एनालिटिक्स), जोखिम-मुक्त (मुकदमे की फंडिंग), और परेशानी-मुक्त (मुकदमे सहायता सेवाएँ) भी बनाती है।
क्या है FightRight?
एक रिपोर्ट कहती है कि साल 2021 में, लीगल टेक मार्केट ने दुनिया भर में 27.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया था। इसके अलावा 2027 तक इसका चार प्रतिशत से अधिक की CAGR (compound annual growth rate) से बढ़ने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। इन्हीं में से एक है FightRight जो Get connected to FIGHTRIGHT Technologiesys-connect के नाम से भारत के लीगल टेक सेक्टर में खूब फल-फूल रहा हैं। ये अपने नए-नए इनोवेटिव कॉन्सेप्ट्स के जरिए इस सेक्टर में आने वाली हर समस्या का हल देता है।
ये स्टार्टअप समरूप, मानकीकृत, व्यवस्थित और अनुकूलित तरीके से वकीलों की सहायता करने और वादियों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने में सहायता करता है। जिसके लिए इंटेलीजेंट टूल्स के साथ AI (Artificial intelligence) और ML (Machine learning) जैसे प्लेटफार्म तैयार कर रहा है।
FightRight की शुरुआत नितिन जैन (Nitin Jain) और विशाल मंगल (Vishal Mangal) ने मिलकर की है। नितिन इसके फाउंडर और सीईओ है। पेशे से वे एक पेशेवर चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) और एलएलबी (जनरल) हैं। उन्होंने टैक्स लॉ चैंबर (TLC), मुंबई में बतौर इनडायरेक्ट टैक्स कंसल्टेंट अपने करियर की शुरूआत की थी। जिसके बाद उन्होंने रियल एस्टेट की तरफ रुख किया। विशाल मंगल जो कि को-फाउंडर और सीओओ हैं, उन्हें रियल एस्टेट इंडस्ट्री में अच्छा-खासा अनुभव हैं।
FightRight का काम?
भारत की न्यायिक प्रक्रिया काफी विस्तृत है। कई मामलों में तो ये लंबी चलने वाली प्रक्रिया साबित होती है। इसीलिए बहुत से लोग कानूनी प्रक्रिया की अत्यधिक जटिलताओं के कारण अपने सही दावों को आगे बढ़ाने से डरते हैं। इन परेशानियों में दावों की पहचान करने में कठिनाई, सही मंच, सही रणनीति और उपयुक्त वकील खोजने में कठिनाई भी शामिल है। ऐसी ही परेशानियों का हल ये FightRight प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाती है। जहां आज हर क्षेत्र में टेक्नॉलजी का इन्वॉल्वमेंट है वहीं कानून का क्षेत्र भी इससे कैसे अछूता रह सकता है। लेकिन मुश्किल समझी जाने वाली कानूनी प्रक्रियाओं को आसान करता यह एप भविष्य में कानूनी मामलों के निपटान में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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