Inspiration: प्रेरणादायी रहा साल 2022, देखें छोटी-छोटी कोशिशों ने कैसे बदली जिंदगियां !
गुजरे हुए पिछले 2 साल काफी उतार-चढ़ाव भरे थे। कोविड के बाद लोगों ने न्यू नॉर्मल को अपनाना शुरू किया। लेकिन फिर से शुरूआत आसान नहीं थी।
गुजरे हुए पिछले 2 साल काफी उतार-चढ़ाव भरे थे। कोविड के बाद लोगों ने न्यू नॉर्मल को अपनाना शुरू किया। लेकिन फिर से शुरूआत आसान नहीं थी।
61 वर्षीय राहीबाई महाराष्ट्र के एक छोटे से आदिवासी गांव में रहती हैं। उन्होंने स्वदेशी बीजों के संरक्षण के काम को एक आंदोलन की तरह शुरू किया। इस काम को करते हुए उन्हें लगभग 20 साल हो चुके हैं। वह कहती हैं कि- उनका गांव काफी छोटा है और गांव के ज्यादातर लोग खेती-किसानी करके अपना जीवन चला रहे हैं। किसान अपनी आय को बढ़ाने के लिए रासायनिक खादों, उर्वरकों का भारी मात्रा में उपयोग कर रहे थे।