

Highlights:
• तरबूज की खेती से महिलाएं बन रही हैं लखपति
• झारखंड के हजारीबाग में तरबूज बना महिलाओं की कमाई जरिया
तरबूज की खेती किसानों के लिए कमाई का एक खास जरिया बन है। झारखंड के हजारीबाग में कई महिलाएं इसे अपनाकर आर्थिक समृद्धि की तरफ बढ़ रही हैं।
तरबूज की खेती कमाई का अच्छा जरिया
अच्छी आमदनी आज हर किसी की चाहत होती है। इसी चाहत को पूरा करने के लिए झारखंड में पढ़े-लिखे लोग भी खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। झारखण्ड के हजारी बाग़ में कुछ महिलाएं तरबूज के खेती के जरिए लाखों कमा रही हैं। दरअसल हजारीबाग के चरही में रहने वाली 700 महिला किसान 200 एकड़ जमीन पर तरबूज की खेती कर लाखों रूपए का मुनाफा कमा रही हैं। इन सभी महिलाओं के पास थोड़ी थोड़ी जमीन थी, उन्होंने अपना एक समूह बनाया और खेती के लिए बड़ी जमीन तैयार की। आज ये महिलाएं सफल किसान के रूप में उभरी हैं। जो अपने जैसी और भी महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं।
कैसे होती है तरबूज?
तरबूज की खेती के लिए गर्म और औसत नमी वाला क्षेत्र जरुरी होता है। इसके पौधों को 25-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए होता है। रेतीली मिटटी तरबूज के लिए अच्छी मानी जाती है। तरबूज की खेती के लिए नदियों के पास खाली जगहों पर की जाती है। मिटटी का PH मान 6.5 से 7.0 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। उत्तर भारत के मैदानी छेत्रों में तरबूज की बुआई फरवरी महीने में की जाती है। वहीं नदियों के किनारे खेती करने पर तरबूज की बुआई मार्च महीने तक करना चाहिए।
तरबूज को कब तोड़ा जाता है
तरबूज के बुआई से लगभग 2-3 महीने बाद फलों को तोड़ा जा सकता हैं। फलों का आकार और रंग उसके प्रकार पर निर्भर करता है। अगर फलों को किसी दूर वाली जगह पर भेजना हो तो उसे पहले तोड़ लेना चाहिए। फलों को ठंडे तापमान में संग्रहित किया जाना चाहिए।
तरबूज से कमाई
एक हेक्टेयर के खेत में औसतन पैदावर क़रीब 200 क्विंटल से 600 क्विंटल तक का उत्पादन किया जा सकता है। तरबूज को बाजार में करीब 8 से 10 रूपए किलो बेचा जाता है जिससे किसान एक बार की फसल से 2 से 3 लाख रुपए तक की कमाई कर सकता है।