कला का हर रूप हमारे मन को तरंगित तो करता ही है, लेकिन जीवन कला की सीख भी दे सकता है। संगीत के सुर और नृत्य की थिरकन तन के साथ-साथ मन और आत्मा को भी आनंदित कर देती है।
कल रात टीवी पर एक डांस शो में एक प्रतिभागी को शानदार डांस करते देखा। डांस, सॉन्ग, म्यूज़िक, सेट एम्बिएंस इतना मंत्रमुग्ध करने वाला था कि शब्दों में उसे बयां कर पाना थोड़ा मुश्किल है। डांस के बाद जब शो के जजों ने अपने कमेंट्स उस प्रतिभागी के परफॉरमेंस पर दिये तो ढ़ेर सारी तारीफों में से एक वाक्य ने एकाएक मेरा ध्यान खींचा।
एक जज ने कहा कि आप अपने पैरों पर इतने हल्के थे कि “like you were flying”. अपने पैरों पर हल्का होना इसका मतलब यह है कि आप बिना किसी एक्स्ट्रा एफर्ट (extra effort) के डांस कर पाये यानी स्वभाविक रूप से, मानों जैसे कोई पानी के ऊपर आराम से चल रहा हो। डांस इतना नैचुरल लगता है कि मानो वो डांस या डांस स्टेप्स ना हो बल्कि हमारे साथ वार्तालाप हो; सहज, सरल, आपसी संवाद।
शो के जज ने तो प्रोफेशनली कमेंट किया लेकिन यह सही है कि हल्का होना ही आपको सहज और सरल बनाता है ये जीवन का कितना महत्वपूर्ण पाठ है। हल्का होने से यहाँ तात्पर्य शारीरिक वज़न से सबंधित नहीं है , अपितु मानसिक व भावनात्मक वज़न से है। जब हम अपने मानसिक व भावनात्मक वज़न को अपने ज़हन से खाली करते रहते हैं, तो हमारा आंतरिक और बाहरी स्वभाव सहज और सरल होता जाता है।
ये आंतरिक वज़न गुस्सा, संदेह, भय, लालच, आलस कुछ भी हो सकता है।
क्यों ना अपने शरीर के वज़न के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक वज़न को भी संतुलित रखा जाये? तब, बस यूँ ही… हम भी उस प्रतिभागी की तरह जीवन में सहज, सरल हो पायेंगे और जीवन रुपी संगीत की मधुर लय का भरपूर आनंद ले पायेंगे।