अमुमन तो मैं नेगेटिविटी से शुरुआत करती नहीं, लेकिन एक घटना ने समझाया की हर पल को पाजिटिविटी के साथ जीने का सही मायनों में क्या अर्थ हैं। कभी-कभी हमारे आसपास होने वाली घटनायें हमे जीवन के महत्त्वपूर्ण पाठ पढ़ा जाती है।
कुछ ही दिनों पहले एक जान पहचान की 40 वर्षीया, जिन्दादिल महिला, सड़क दुर्घटना की शिकार हुई। वो आठ दिनों तक अस्पताल में वेन्टिलेटर पर रही, वैसे तो उससे हमारी कोई घनिष्ठता नहीं थी। सिर्फ हाय, हैलो तक ही बात होती थी, लेकिन उसकी जिन्दादिली, हर पल को पूरी ख़ुशी के साथ जीने की कला, हमेशा ऊर्जा से भरी रहने वाली महिला की छवि इतनी गहरी थी कि बार-बार उसके हाल-चाल जानने की इच्छा होती थी।
जब एक दिन अचानक पता चला की वो नहीं रही तो पूरा दिन मन ऐसे उदास रहा जैसे कोई अपना करीबी खो दिया हो। वो क्या था जो न जानते हुए भी उस से बांधे हुआ था, शायद हमेशा खुश रहना, हर पल को पूरी तरह से जीने की कला जो उस महिला में थी।
इस घटना पर दुःख मनाने वाले बहुत लोग थे, दोस्त थे, लेकिन कुछ ही दिनों में सब अपनी-अपनी ज़िंदगानियों में मसरूफ हो गए। जाने वाले के साथ उसके जीए हुए साल ही गए। यह हम सब जानते हैं कि साथ कुछ नहीं जाता, तब भी ज़िन्दगी को जिन्दादिली से जीना भूल जाते हैं।
जो हमारे पास हैं वो बहुत है खुश रहने के लिए। जीवन सिर्फ वर्त्तमान के उसी पल में है जो हमारे पास इस वक्त है। बस यूँ ही आस-पास घट जाने वाली घटनायें हमे फिर से जीवन की सच्चाईयों से रूबरू कराती है, इन्हे महसूस करके जीना ही जीवन है।