Parshuram Jayanti 2024: भगवान विष्णु ने क्यों लिया था धरती पर जन्म?

Parshuram Jayanti 2024: हिंदू महीने का वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन को अक्षय तृतीय कहते हैं। पुराणों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया धन की देवी माता लक्ष्मी का दिन होता है। इस दिन पूजा पाठ, दान पुण्य और जप का अक्षय फल का लाभ होता है। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था। जानते हैं क्या है परशुराम जयंती का महत्व और क्यों भगवान विष्णु ने धरती पर परशुराम बनकर जन्म लिया था।

विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम

अक्षय तृतीया के दिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया था। परशुराम भगवान विष्णु के छठवे अवतार हैं। जन्म के समय भगवान परशुराम (Parshuram Jayanti 2024) का नाम सिर्फ राम था। लेकिन जब भगवान शिव ने उन्हें परशु नामक शस्त्र दिया, तो राम जी को परशुराम कहा गया।

भगवान परशुराम के बारे में

भगवान परशुराम भार्गव वंश के हैं। उनका जन्म विशेष प्रयोजन के लिए हुआ था। भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में माने जाने वाले परशुराम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था। पौराणिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम के जन्म की वजह से ही उनकी शक्तियां अक्षत मानी जाती है। परशुराम का जब जन्म हुआ था, तो उनका नाम राम रखा गया, लेकिन भगवान शिव से उन्हें कई अद्वितीय शस्त्र की प्राप्ति हुई। भगवान शिव ने ‘राम’ को फरसा या कुल्हाड़ी भेंट किया था। परशु मिलने के बाद उनका नाम परशुराम रखा गया। जिसका अर्थ है परशु रखने वाला राम। तभी से उन्हें परशुराम कहा गया। ऐसा कहा गया है कि पृथ्वी पर साधु-संतो और ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु परशुराम के रूप में धरती पर आए।

भगवान परशुराम नाम

भगवान परशुराम की जयंती (Parshuram Jayanti 2024) के अवसर पर हम उनके कुछ नाम बता रहे हैं जिनका जाप कर आप मन वांछित फल पा सकते हैं।  उनके अनेकों नामों में से कुछ है– भार्गव, भृगुपति, रेणुकेय, कोङ्कणासुत, जामदग्न्य, राम, परशुधर, खण्डपरशु, ऊर्ध्वरेता, मातृकच्छिद, मातृप्राणद, कार्त्तवीर्यारि, क्षत्रान्तक, न्यक्ष,  न्यस्तदण्ड, क्रौञ्चारि, ब्रह्मराशि, स्वामिजङ्घी, सह्याद्रिवासी, चिरञ्जीवी।

परशुराम के शिष्य

भगवान परशुराम एक योद्धा भी थे। उनके शिष्यों में भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य और अंगराज कर्ण का नाम शामिल है। जिन्होंने महाभारत के युद्ध में 17 दिनों तक युद्ध की कमान संभाली।

Positive सार

भगवान परशुराम की जयंती (Parshuram Jayanti 2024) पूरे देश में बड़े ही उत्साह और भक्तिमय होकर मनाई जाती है। भगवान परशुराम का पूरा जीवन सीखने के लायक है। क्रोध के समय भी अपनी बुद्धि और विवेक को कभी नहीं खोना चाहिए ये बात हमें भगवान परशुराम के व्यक्तित्व से सीखना चाहिए।

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Rishita Diwan

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