Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: लाल बहादुर शास्त्री, भारतीय राजनीति के एक ऐसे चमकते सितारे थे, जिन्होंने अपनी सरलता, ईमानदारी और अडिग निष्ठा के बल पर देश का नेतृत्व किया। उनका जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन इन चुनौतियों ने ही उन्हें एक महान नेता और भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया। 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्मे शास्त्री जी का पूरा जीवन प्रेरणा और संघर्ष की मिसाल है। आज उनकी जयंती के अवसर पर, आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 खास बातें, जो हमें उनके व्यक्तित्व की गहराई को समझने में मदद करेंगी।
1.असाधारण व्यक्तित्व की नींव
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिताजी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक स्कूल में शिक्षक थे। शास्त्री जी के जीवन की सादगी और उनके व्यक्तित्व का निर्माण उनके पारिवारिक परिवेश से ही हुआ था, जिसने उन्हें आगे चलकर भारत की राजनीतिक धारा में विशिष्ट स्थान दिलाया।
2. बचपन में खोया पिता का साया
जब शास्त्री जी मात्र डेढ़ साल के थे, तभी उनके पिताजी का देहांत हो गया था। इस घटना ने उनके जीवन को कष्टमय बना दिया, लेकिन उनकी माता जी ने उन्हें कठिनाइयों से लड़ना सिखाया। परिवार की आर्थिक तंगी और संघर्षों के बावजूद, उन्होंने शिक्षा को कभी नहीं छोड़ा और हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा ली।
3. महात्मा गांधी से ली प्रेरणा
लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे। गांधी जी के आह्वान पर, उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद, वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी बन गए और कई आंदोलनों का हिस्सा बने।
4. वाराणसी में पूरी की शिक्षा
शास्त्री जी की शिक्षा वाराणसी में हुई थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा वाराणसी से प्राप्त की और बाद में काशी विद्यापीठ से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें विचारों की गहराई और भारतीय संस्कृति की समझ दी, जो उनके राजनीतिक जीवन में सहायक साबित हुई।
5. भारत छोड़ो आंदोलन महत्वपूर्ण भूमिका
शास्त्री जी ने 1930 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। उनके सक्रिय योगदान के कारण वे कई बार जेल भी गए, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उन्होंने देश की आजादी के लिए हर संभव प्रयास किया।
6. उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव रहे
भारत के आजाद होने के बाद, शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया गया। यह उनकी राजनीतिक यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव था, जहाँ से उन्होंने अपनी नीतियों और विचारों के बल पर राज्य और देश की सेवा की।
7. रेल मंत्री के रूप में उत्कृष्ट कार्य
1951 में, लाल बहादुर शास्त्री को रेल मंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होंने रेल सेवाओं में सुधार के कई प्रयास किए। 1956 में तमिलनाडु के अरियालूर में हुई रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार कर लिया। इस घटना ने उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को और भी मजबूत किया।
8. “जय जवान, जय किसान” का नारा
27 मई 1964 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद, लाल बहादुर शास्त्री को 9 जून 1964 को भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश के किसानों और जवानों के हितों के लिए कार्य किया। उनके द्वारा दिया गया नारा “जय जवान, जय किसान” आज भी भारतीय समाज में गूंजता है।
9. भारत-पाक युद्ध और देश का नेतृत्व
शास्त्री जी के कार्यकाल के दौरान 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ। उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और रणनीतिक नेतृत्व के साथ देश को विजयी बनाया। इस युद्ध के बाद, ताशकंद समझौता हुआ, लेकिन इस समझौते के तुरंत बाद ही उनकी मृत्यु हो गई, जो आज भी एक रहस्य बनी हुई है।
10. ताशकंद में निधन बना रहस्य
11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया। उनकी मृत्यु के कारणों का आज तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिल पाया है, और यह एक रहस्य ही बना हुआ है। उनकी मृत्यु ने देशवासियों को गहरा आघात दिया, और देश ने एक सच्चे नेता को खो दिया।
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महान नेता का जीवन एक सीख
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और ईमानदारी से भी असाधारण नेतृत्व किया जा सकता है। उनके जीवन के अनुभव और संघर्ष हमें आज भी प्रेरणा देते हैं। उनके विचार, नीतियां और कार्य हमेशा हमें देश की सेवा करने की प्रेरणा देते रहेंगे। उनके “जय जवान, जय किसान” नारे ने भारत को एक नई दिशा दी और आज उनकी जयंती पर, हम उनके महान व्यक्तित्व को सलाम करते हैं।