Krishn Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण से जुड़ी 10 अनसुनी बातेंजन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है, जो भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। इस दिन को लेकर भक्तों में गहरी श्रद्धा और उत्साह होता है। हालांकि, श्रीकृष्ण के जीवन और उनके योगदान के बारे में बहुत कुछ जाना जाता है, लेकिन आज हम आपको उनके बारे में 10 अनसुनी बातें बताने जा रहे हैं जो शायद ही किसी ने सुनी हों।
1. असाधारण बुद्धिमत्ता
भगवान कृष्ण ने अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता और सीखने की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए, संदीपनी आश्रम में केवल कुछ महीनों में अपनी औपचारिक शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा किया। उनकी तेज बुद्धि ने उन्हें अन्य युवाओं से अलग किया।
2. दिव्य शस्त्र
कृष्ण के पास तीन प्रमुख दिव्य शस्त्र थे: नंदक (तलवार), कौमोदकी (गदा), और पांचजन्य (शंख), जो गुलाबी रंग का था। ये शस्त्र उन्हें युद्ध में अद्वितीय शक्ति प्रदान करते थे।
3. अद्वितीय धनुष और चक्र
कृष्ण का धनुष ‘शारंगा’ था, और उनके प्राथमिक शस्त्र, सुदर्शन चक्र, एक पारंपरिक दिव्य शस्त्र था, जो उनके हाथ में अद्वितीय शक्ति के साथ कार्य करता था।
4. राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी
कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी प्रमुख हिंदू ग्रंथों में प्रमुखता से नहीं दिखाई गई है। यह प्रेम कहानी मुख्य रूप से ब्रह्म वैवर्त पुराण, गीत गोविंद और लोक कथाओं में अधिक प्रचलित है।
5. द्वारका में सीमित निवास
कृष्ण ने अपने जीवन के अंत के वर्षों में केवल थोड़े समय के लिए द्वारका में निवास किया और अधिकांश जीवन अन्य क्षेत्रों में बिताया। उनका निवास द्वारका में सीमित था।
6. मार्शल आर्ट के पहले गुरु
कृष्ण को प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू का पहला गुरु माना जाता है। उन्होंने इस कला में महारत हासिल की और डांडिया रास की प्रथा भी शुरू की, जिससे उग्र नारायणी सेना का गठन हुआ।
7. चुनौतीपूर्ण विवाह प्रतियोगिता
कृष्ण ने राजकुमारी लक्ष्मणा के हाथ के लिए विवाह की प्रतियोगिता में भाग लिया, जो द्रौपदी के स्वयंवर से भी अधिक चुनौतीपूर्ण मानी जाती है।
8. महत्वपूर्ण युद्धों में भूमिका
कृष्ण ने महाभारत, जरासंध और कालयवन के खिलाफ लड़ाई, और राक्षस नरकासुर के खिलाफ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये युद्ध उनकी बहादुरी और नेतृत्व को दर्शाते हैं।
9. भगवद गीता का योगदान
भगवान कृष्ण का एक महत्वपूर्ण योगदान भगवद गीता है, जिसमें उन्होंने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में गहन आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया। यह ग्रंथ मानवता को धार्मिकता और आध्यात्मिकता के मार्ग पर मार्गदर्शन करता है।
10. सूक्ष्मजीव युद्ध की शुरुआत
बाणासुर के खिलाफ युद्ध के दौरान, कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का एक अनूठे तरीके से उपयोग किया। उन्होंने महेश्वर ज्वर को विष्णु ज्वर के साथ मिलाकर इतिहास में पहली बार सूक्ष्मजीव युद्ध का निर्माण किया।
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ये अनसुनी बातें भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं और हमें उनकी महानता और अद्वितीयता की नई झलक प्रदान करती हैं। जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर, श्रीकृष्ण की इस रहस्यमयी दुनिया को जानना निश्चित ही एक अद्भुत अनुभव है।