Jait Kham: जैत खाम छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय का धार्मिक प्रतीक है। जैत खाम से सतनामी समाज की गहरी आस्था जुड़ी होती है। इनके घरों या इनके मोहल्लों में भी जैत खाम जरूर होता है जिसे पूरा समाज भगवान की तरह पूजता है। गिरौदपुरी जिसे सतनामी समाज का तीर्थ कहा जाताहै वहां छत्तीसगढ़ का सबे ऊंचा और भव्य जैतखाम स्थित है। आइए जानते हैं क्या है जैतखाम और सबसे बड़े जैतखाम की क्या खासियत है।
क्या होता है जैत खाम?
“जैत खाम” शब्द मूल रूप से छत्तीसगढ़ की स्थानीय बोली का शब्द है, यह दो शब्दों से बना है। जैत जिसका मतलब है ‘जय’ और खाम का अर्थ है ‘खम्बा’, यानी जय या शांति का प्रतीक स्तंभ। जैत खाम मूलरूप से सतनमी समुदाय के ध्वज का नाम है । पारंपरिक रूप से 21 हाथ लंबी सरई के एक ही गोलाकार स्तंभ से जैतखाम बनता है। इसकी लंबाई के एक तिहाई हिस्स को जमीन के अंदर गड़ाया जाता है। सबसे ऊपर सफेद ध्वज के लिए लोहे का रॉड लगाया जाता है ।
हर साल बदलते हैं ध्वज
जैत खाम के सबसे उपर सफेद रंग का ध्वज लगाया जाता है। इस ध्वज को हर साल 18 दिसंबर यानी गुरुघासीदास जयंती के दिन बदला जाता है। पुराने ध्वज को उतारकर नया ध्वज लगाया जाता है। इस परंपरा को पालो चढ़ाना कहा जाता है। पारंपरिक तौर पर जैत खाम जितना उपर दिखाई देता है उससे लगभग आधा जमीन के अंदर गड़ा जाता है।
सरई की लकड़ी से बनता है जैतखाम
पुराने समय में जैतखाम को सरई की लकड़ी से बनाया जाता था। इसका कारण था कि सरई की लकड़ी मजबूत होती है और पानी में जल्दी खराब नहीं होती। रायपुर के न्यू राजेंद्र नगर के सांस्कृतिक भवन में आज भी 40 फीट का सरई लकड़ी का जैतखाम लगा हुआ है। इसे सबसे ऊंचा लकड़ी का जैत खाम माना जाता है। ये जैतखाम 15 फीट जमीन के अंदर और 25 फीट जमीन के ऊपर दिखाई देता है। अब पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए सीमेंट से पक्का जैत खाम बनाय जाने लगा है।
गिरौदपुरी में है बसे ऊंचा जैत खाम
सतनामी समाज का तीर्थ स्थल मान जाने वाले गिरौदपुरी में छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा जैत खाम है। इसकी ऊंचाई 77 मीटर या 243 फीट है। इसका निर्माण 2007-08 में शुरु हुआ और 2014 में बनकर तैयार हुआ। इसकी लागत करीब 51 करोड़ रुपए है। गिरौदपुरी का ये विशाल जैतखाम 7 विशाल खंबों पर टिका है। गिरौदपुरी के जैत खाम की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा है।