Hariyali Bahne: कौन हैं हरियाली बहनें जो फूलों का कर रहीं सही इस्तेमाल

Hariyali Bahne:  पर्यावरण को साफ रखना और प्रदूषण से बचाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। अगर हर कोई इसी पॉसिटिव सोच के साथ छोटे-छोटे कदम उठाए तो हमें साफ हवा और पानी मिलना आसान हो जाएगा। इसी बात को सच करती हैं छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की ‘हरियाली बहनें’। इन्होंने पूजा के फूलों से अगरबत्ती और पूजा का सामान बनाने का बीड़ा उठाया है। ताकी नदी और तालाब प्रदूषित होने से बचे।

कौन हैं हरियाली बहने?

हरियाली बहनें महिलाओं का एक समूह है। यह समूह हर बड़े त्योहारों के बाद घरों, दुकानों और मंदिरों से फूल इकट्ठा करती हैं। ये वो फूल होते हैं जो पूजा में चढ़ाने के बाद अक्सर नदी-तालाबों में विसर्जित कर दिए जाते हैं। दिवाली के बाद भी इनकी टोली एक छोटी गाड़ी लेकर शहर में निकली है। समूह की महिलाएं गांव-गांव और शहरों में घूमकर फूल जमा कर रही हैं।

क्या है हरियाली बहनों का उद्देश्य?

हरियाली बहनों का उद्देश्य आस्था को बनाए रखने के साथ पर्यावरण को बचाना है। भगवान को चढ़ाए फूलों से लोगों की आस्था जुड़ी होती है। इसलिए इन फूलों को लोग नदी या तालाबों में विसर्जित करना चाहते हैं। लेकिन बड़ी मात्रा में पूजा का सामान विसर्जित होने से नदियों, तालाबों का पानी दूषित होता है। हरियाली बहनों ने बीच का रास्ता निकालते हुए इन्हे जमाकर, इनसे अगरबत्ती बनाने का काम शुरु किया है।  

कई टन फूल होते हैं जमा

हरियाली बहनों ने ना सिर्फ दिवाली में बल्की, गणेशोत्सव और नवरात्री में भी पूजा के फूल जामा करती हैं। ये सभी बड़े त्योहार हैं, इनमें हरियाली बहनों के पास कई टन फूल जमा हो जाते हैं। इन फूलों को महिला समूहों को दिया जाता है। महिला समूह इन्हें धूप में सूखाकर पावडर तैयार कर लेती हैं। इसका उपयोग अगरबत्ती और धूपबत्ती में रॉ मटेरियल के रूप में होता है।

Positive सार

हरियाली बहनों का प्रयास वाकई में सराहनीय है। इससे ना सिर्फ नदी, तालाबों को गंदा होने से बचाया जा रहा है बल्की कई महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इन फूलों से बनी सुगंधित अगरबत्ती को मार्केट में अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। इस तरह से एक कदम से आस्था को सम्मान, पर्यापरण संरक्षण में योगदान और महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का काम एक साथ हो रहा है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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