Green Jail: बिलासपुर का सेंट्रल जेल बनेगा देश का पहला “ग्रीन जेल”

Green Jail: बिलासपुर के सेंट्रल जेल ने ईको फ्रैंडली इनोवेशन की दिशा में सराहनीय कदम उठाया है। जेल प्रशासन ने अब जेल परिसर को पूरी तरह से ईको फ्रैंडली और ग्रीन कम्पाउंड बनाने के लिए काम शुरु कर दिया है।  बिलासपुर सेंट्रल जेल सिर्फ छत्तीसगढ़ का ही नहीं बल्की पूरे देश का पहला “ईको फ्रैंडली ग्रीन जेल होगा।”

जेल प्रशासन ने उठाए ये कदम

वॉटर कंसर्वेशन- जेल परिसर को ईको फ्रैंडली बनाने के लिए जले परिसर में जल संरक्षण के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए वेस्ट वॉटर को पौधों में पानी देने के लिए या किसी और काम  के लिए उपयोग किया जा रहा है। परिसर में लगे सभी एसी से निकलने वाले पानी को भी जमा कर उसे काम में लाया जा रहा है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर भी काम किया जा रहा है।

एनर्जी कंसर्जेवेशन- एनर्जी कंसर्वेशन के लिए जेल परिसर में सभी कर्मचारियों और बंदियों को प्रशिक्षण दिया गया है। बिजली के उपयोग का आंकलन करने के लिए एनर्जी ऑडिट कराया जाता है। जेल प्रशासन सोलर सिस्टम पर भी काम कर रहा है।

प्लास्टिक फ्री परिसर- जेल में आने वाले सामान में अब प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं।

रि-साइक्लिंग ऑफ प्लास्टिक- प्लास्टिक वेस के प्रबंधन के लिए जेल में प्लास्टिक से ईंट बनाई जा रही है। इसके लिए बंदियों को पूरी तरह से प्रशिक्षण दिया गया है।

जेल परिसर बनेगा ऑक्सिजन जनरेटर

बिलासपुर सेंट्रल जेल का परिसर पूरी तरह से हरा-भरा है। इसे अच्छी तरह से उपयोग में लाने के लिए NGO से परिसर के पेड़ पौधों का फ्लोरा-फौना सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे होने के बाद वनस्पति और जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम किया जाएगा। जेल परिसर को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि वो शहर के लिए “ऑक्सिजन जनरेटर” की तरह काम करे।

Positive सार

बिलासपुर जेल परिसर के द्वारा उठाया गया यह कदम वाकय सराहनीय और साकारात्मक पहल है। अगर सभी नागरिक और विभाग इसी तरह की पहल करते हैं, तो पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में काफी सहायता मिलेगी। प्लास्टिक जो की पर्यावरण की सबसे बड़ी दुश्मन है का उपयोग कम करना या उनकी रिसाइक्लिं करना बेहद जरूरी है। बिलासपुर जेल का यह कदम दूसरे जेल और डिपार्टमेंट्स को भी जरूर अपनाना चाहिए।

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Rishita Diwan

Content Writer

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