अस्तित्व खो रही नदी को महिला IAS ने दी नई ज़िंदगी

ब भी हम कुछ अच्छा करने निकलते हैं तो राहों की मुश्किलों से सामना पहले ही हो जाता है। लेकिन हममें से कुछ ही लोग होते हैं जो सामने खड़ी मुश्किलों का रास्ता खोजकर मंजिल तक पहुंच जाते हैं। ऐसे ही मुश्किलों को पार कर मंजिल तक पहुंचने वाली एक योद्धा हैं IAS प्रियंका निरंजन। वैसे तो हर प्रशासनिक अधिकारी देश के लिए कुछ करना चाहता है पर प्रियंका के कार्यों को देखकर कोई भी गौरान्वित हो सकता है। प्रियंका के इन कार्यो की सराहना पीएम मोदी भी अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ मे कर चुके है।
जालौन मे 20 साल से अस्तित्व खो रही नदी को प्रियंका पुनर्जीवित करने मे कामयाब हुई है। इस नदी का नाम है नून नदी। नून नदी जालौन में एक पारंपरिक नदी है। नून नदी यहां के किसानों के लिए पानी का प्रमुख स्त्रोत हुआ करती थी। बीते कुछ सालो मे नदी लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई थी। तभी इसे नई ज़िंदगी देने का बेड़ा उठाया यहा की डीएम ने।

क्यो है चर्चा का विषय ?
हाल ही में पीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 83rd एडिशन संचालित हुआ। इस कार्यक्रम में उन्होंने उत्तरप्रदेश के जालौन की इस नून नदी का जिक्र किया। इस कार्यक्रम के बाद से ही यह नदी चर्चा मे बनी हुई है। सबका साथ सबका विकास का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा- “जालौन में एक नदी थी जिसे नून नदी कहा जाता था। धीरे-धीरे, यह नदी विलुप्त होने के कगार पर आ गई। इससे क्षेत्र के किसानों के लिए संकट खड़ा हो गया है। जालौन के लोगों ने इस साल एक कमेटी बनाकर नदी को पुनर्जीवित किया। यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ का उदाहरण है।“

River Rescuer, IAS प्रियंका निरंजन
प्रियंका निरंजन इससे पहले यूपी के ही मिर्जापुर में CDO रह चुकी हैं। मिर्जापुर में कर्णावती नदी को पुर्नजीवित करने में प्रियंका ने मुख्य भूमिका निभाई थी। कर्णावती नदी गंगा की सहायक नदियों मे से एक है। इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रियंका निरंजन के प्रयासों की सराहना पूरे देश में हुई थी।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से मिर्जापुर को नार्थ जोन में तीसरा पुरस्कारर दिया गया था। यह पुरस्कायर नदियों के पुनर्जीवन श्रेणी में दिया गया था। प्रियंका का मिर्जापुर का उनका यह अनुभव जालौन में काम आया।

नदी का इतिहास
जालौन के किसानों के लिए नून नदी पानी का मुख्य स्रोत हुआ करती थी। लेकिन, समय के साथ-साथ नून नदी विलुप्त होने के कगार पर थी। इस नदी के पास जो कुछ भी जीवन बचा था वह एक नाले में बदल रहा था। इससे किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ता था। स्थिति को सुधारने के लिए जालौन के लोगों ने कई अहम कदम उठाए। इसके निवारण के लिए कई कमेटियों का गठन भी किया गया था। इसमें मुख्य अधिकारियों के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीणों व स्थानीय लोगों ने भी भाग लिया था।

नून नदी से लाभ
नून नदी के पुनर्जीवित होने से लगभग 15351 किसानों को लाभ मिला। साथ ही 278 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने में सफलता भी मिली । इसके अलावा, स्थानीय लोगों के पास पीने या अन्य उद्देश्यों के लिए पानी भी पहुंचेगा और पास के हैंडपंप या कुएं में जल स्तर भी अधिक बना रहेगा ।
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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