ग्लोबल वॉर्मिंग की परेशानी से पूरी दुनिया दो-चार हो रही है। इसके दुष्परिणामों में से एक है दुनिया के सामने खड़ा पेयजल संकट। देश में पेयजल की समस्या के हल के लिए केंद्र सरकार अमृत सरोवर योजना लेकर आई है। यही नहीं इस योजना के दूरगामी उद्देश्यों में यह भी शामिल है कि आने वाली पीढ़ी को जल की समस्या न हो। इस योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर के सभी जिलों में से प्रत्येक में 75 तालाबों का निर्माण करवा रही है। वहीं अब यह योजना सफलता के नए कीर्तिमान भी स्थापित कर रहा है। दरअसल साल 2022 के 180 दिनों में ही 25 हजार से अधिक तालाबों का निर्माण हो चुका है, जल संचय की दिशा में यह एक बड़ी सफलता है।
6 महीने में हुआ है 25 हजार तालाबों का निर्माण
जल संरक्षण और जल संचय के उद्देश्यों के साथ देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंकट दूर करने के लिए हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य तय है। अमृत सरोवर योजना की शुरुआत 24 अप्रैल 2022 में हुई थी। अमृत सरोवर के शुभारंभ के 6 महीने के भीतर ही 25,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण भी कर लिया गया है। इसे जल संरक्षण की दिशा में बढ़ाया गया एक सही और सफल कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने मील का पत्थर साबित होगी अमृत सरोवर योजना
अमृत सरोवर योजना के तहत 15 अगस्त 2023 तक देशभर में 50,000 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। 17 नवंबर 2022 तक अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए लगभग 90,531 स्थलों की पहचान भी की जा चुकी है। इनमें से 52,245 स्थलों पर काम भी शुरू हो चुका है। तेजी से किए जा रहे तालाबों के निर्माण को जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
शुद्ध वातावरण के लिए लगाए जा रहे पारंपरिक पेड़
अमृत सरोवरों पारंपरिक पेड़ों को भी रोपा जा रहा है। पर्यावरण को संजीवनी देने वाले दीर्घायु और छायादार पेड़ जैसे नीम, पीपल, बरगद इन पेड़ों में शामिल हैं। बहुउद्देश्यीय स्वरुप में तैयार हो रहे अमृत सरोवरों के निर्माण से ग्रामीण
अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। ग्रामीण, सरोवर में मछली पालन, मखाने की खेती एवं पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था होने से खाद्यान का अधिक उत्पादन करके भी किसान खुद को समृद्ध बनाने की दिशा में बढ़ेंगे।