

जेंडर समानता की बात पर अक्सर लोग ये मानते हैं बराबरी का हक सभी का है, लेकिन बात जब ट्रांस जेंडर की आती है तो लोग अक्सर अपनी राय बदल लेते है। लेकिन छत्तीसगढ़ में रवैया अब बदलने लगा। जिसकी वजह से अब ट्रांस जेंडर कम्यूनिटी भी समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जब आप इंटरनेट पर ”बस्तर फाइटर्स” सर्च करेंगे तो आपको इससे जुड़ी तमाम खबरें, सोशल मीडिया पर मिल जाएंगी। इस बात की जानकारी भी आपको होगी कि बस्तर फाइटर्स बनने बड़ी संख्या में आदिवासी लड़के-लड़कियां उत्साह दिखा रहे हैं। हजारों आवेदन इन पदों के लिए किए गए। इन आवेदनों में खास बात ये भी थी कि छत्तीसगढ़ के ट्रांसजेंडर्स ने भी इसके लिए आवेदन दिया। सिर्फ आवेदन ही नहीं बल्कि परीक्षा और ट्रेनिंग पास कर अब ये ट्रांस जेंडर ‘बस्तर फाइटर्स’ के रूप में नक्सलियों से लड़ने के लिए तैयार हैं।
दिव्या की कहानी
बस्तर फाइटर्स में ट्रांस जेंडर समूह से कांकेर जिले से दिव्या ने आवेदन किया था। ट्रांस वुमेन दिव्या भर्ती को लेकर काफी उत्सुक थीं। शारीरिक दक्षता परीक्षा में दिव्या को 100 में 100 अंक मिले थे। दिव्या कहती हैं- ”नक्सलियों से सीधी लड़ाई के लिए हम बिलकुल तैयार हैं। शहीद हो गए तो इससे बड़ा सम्मान कुछ नहीं होगा। अब तक तो समाज से हमें अपमानित ही किया है। लोग कहते हैं- तुम किन्नर हो क्या कर लोगे। हम उन्हें जवाब देना चाहते हैं कि हमें मौका मिले तो हम खुद को हर क्षेत्र में साबित कर अपनी दक्षता दिखा सकते हैं।
बरखा की कहानी
बस्तर जिले से आवेदन करने वाली आदिवासी ट्रांस बरखा बघेल अब ‘बस्तर फाइटर्स’ की सिपाही हैं। 24 वर्षीय बरखा कहती हैं- ”ट्रांस के रूप में मैने पहचान बनाने में काफी मुसिबतों का सामना किया। कई लड़ाइयां लड़नी पड़ी। समाज में भद्दे कमेंट, समुदाय के लोगों द्वारा भी परेशान किया जाना सबकुछ सहा। ऐसी लड़ाइयों के सामने नक्सलियों से लड़ाई कौन सी बड़ी बात होगी। ये लड़ाई तो देश के लिए लड़नी है, हम पूरी तरह से तैयार हैं। अब तक लोगों ने हमारे नाच-गाने, तालियां बजाना, भीख मांगना ही देखा है। अब अगर मौका मिला तो वे देश के लिए हमारा जुनून भी देख सकेंगे”

