भारतीय फैन्स की क्रिकेट दीवानगी किसी से छुपी नहीं है फिर बात चाहे सचिन की हो या धोनी, रोहित, कोहली की हो। इनके admirer दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं। ऐसे में जब बात हर उस पहले क्रिकेटर की हो रही हो जिसने world cup जिताया हो जैसे- Kapil Dev की टीम, अकेले 6 world cup खेलने वाला पहला क्रिकेटर हो जैसे- सचिन तेंदुलकर या फिर दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले विराट कोहली हो। इनके बारे में सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप उस शख्स के बारे में जानते हैं जिन्हें Hero of First Asia Cup कहा जाता है। न तो वो टीम इंडिया के कैप्टन थे और न ही कपिल देव, गावस्कर जितने फेमस।
एशिया कप के हीरो
Hero of First Asia Cup कहलाने वाले ये क्रिकेटर थे ‘सुरिंदर खन्ना’। सुरिंदर खन्ना (Surinder Khanna) की एशिया कप 1984 में एंट्री भी काफी अनोखी थी, दरअसल उन्हें रेगुलर विकेटकीपर को चोट लगने की वजह से टीम में जगह मिली थी। सुरिंदर खन्ना का परिवार भारत-पाकिस्तान पार्टिशन के दौरान दिल्ली आकर बसा था। उनके पिता चाहते थे कि वो कोई ऐसी पढ़ाई करें जिससे उन्हें नौकरी मिले, लेकिन गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलने वाले सुरिंदर एक दिन भारत के लिए खेलना चाहते थे। उन्होंने हाई स्कूल में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। कॉलेज में पढ़ने के दौरान सुरिंदर domestic cricket खेल रहे थे। क्रिकेट के प्रति उनमें ऐसा जुनून था कि उनके खेलने पर उनके साथी क्रिकेटर उन्हें रनों की मशीन कहते थे।
टीम में नहीं मिली थी जगह
एक दौर ऐसा भी आया जब सुरिंदर खन्ना (Surinder Khanna) को टीम में जगह नहीं मिली। दरअसल 1979 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी खराब रहा, लिहाजा उनके गेम पर भी असर हुआ और उन्हें कुछ समय तक भारतीय टीम से बाहर रहना पड़ा। खन्ना ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि वो टीम में कभी वापसी भी कर पाएंगे। इसी बीच टीम इंडिया के विकेटकीपर किरमानी को चोट लग गई और उन्हें प्लेइंग इलेवन में बतौर विकेटकीपर जगह मिली।
भारत को दिलाई जीत
भारत का पहला मैच 8 अप्रैल, 1984 को श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेला गया। इस मैच में चेतन शर्मा, मनोज प्रभाकर ने शानदार बॉलिंग से श्रीलंका को सिर्फ 96 रन पर समेट दिया। अब बारी टीम इंडिया की थी और इस गेम की ओपनिंग की सुरिंदर खन्ना ने। सुरिंदर ने 69 गेंदों पर 6 चौकों के साथ नाबाद 51 रन बनाकर मैच जीताने वाली शानदार पारी खेली और इस तरह भारत ने 10 विकेट से जीत के साथ एशिया कप की शुरुआत की।
मैन ऑफ द मैच बने
इसके बाद ही टीम इंडिया को अगला मैच 13 अप्रैल 1984 को पाकिस्तान के साथ खेलना था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी की और 46 ओवर में चार विकेट देकर 188 रन बनाए। सुरिंदर के बैट ने फिर से एक जादूगरी पारी खेली और उन्होंने हॉफ सेंचुरी लगाते हुए 56 रन बनाए। जिसमें 3 चौके और 2 छक्के शामिल हैं। इस टूर्नामेंट में भारत ने सबसे अच्छा प्रदर्शन कर एशिया कप पर कब्जा किया। सुरिंदर खन्ना को man of the Match और man of the series मिला।
पहले एशिया कप के हीरो
सुरिंदर खन्ना (Surinder Khanna) का नाम एशिया कप के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया। वो देश के हीरो बन गए। खन्ना के बारे में पूर्व क्रिकेटर समीर भारद्वाज कहते हैं कि सुरिंदर ‘Fighting from the front cricketer’ है वो अच्छे विकेटकीपर, ओपनर और बैट्समैन हैं। सुरिंदर इतिहास में दर्ज वो क्रिकेटर हैं जो हर खिलाड़ी के लिए प्रेरणा हैं, लेकिन कहते हैं न कि सूरज को कभी न कभी ढलना ही होता है, एक इंजरी ने भी उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट से अलविदा कहने को मजबूर कर दिया। खन्ना ने अपने इंटरनेशनल करियर में सिर्फ 10 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 5 हजार रन, 182 कैच और 52 स्टंप किए। सुरिंदर की कहानी इंडियन क्रिकेट इतिहास के उन किस्सों में शामिल हैं जिसने बड़ी उपलब्धि अपने नाम की। आज भारतीय क्रिकेट टीम एशिया कप में सबसे मजबूत टीम है पहला चैंपियन तो पहला ही होता है। इसीलिए सुरिंदर खन्ना क्रिकेट प्रेमियों के दिल में हमेशा याद किए जाते रहेंगे।