

बढ़ता प्लास्टिक पॉल्युशन आज दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। ऐसे में हर देश प्लास्टिक से निपटने के उपायों की ओर देख रहा है। लेकिन हाल के हुए शोध से इसका हल निकालने की कोशिश की जा रही है। दरअसल दुनिया से प्लास्टिक को खत्म करने के लिए वैज्ञानिक अब कीटों का सहारा लेने वाले हैं। ऐसे कीट जो प्लास्टिक को खाकर पचाने की क्षमता रखते हैं।
और इस सुपर वर्म का नाम है जोफोबास मोरियो। यह लार्वा कीड़े की फैमिली का है। रिसर्चर्स का कहना है कि जोफोबास मोरियो पॉलिस्टाइरीन नाम के खास प्लास्टिक को आसानी से पचा पाने में सक्षम है। इसका कारण इन कीटों की आंत में मौजूद बैक्टीरिया है।
क्यों खास हैं जोफोबास मोरियो
इन्हें सुपर वर्म भी कहा जा रहा है। ये एक ऐसा कीड़ा है, जिन्हें पक्षी और रेप्टाइल्स खाते हैं। इसका आकार 2 इंच (5 सेंटीमीटर) तक होता है। दुनिया के कुछ देश, जैसे मेक्सिको और थाइलैंड लोग इसे खाना पसंद करते हैं।
क्या कहते हैं शोध
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इन कीड़ों को तीन वर्गों में बांट दिया था। इन्हें अलग-अलग प्लास्टिक की डाइट पर तीन हफ्तों के लिए पाला गया। इस दौरान पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक से बनने वाले थर्माकोल (स्टायरोफोम) को खाने वाले कीड़ों का वजन तेजी से बढ़ा। इस रिसर्च को यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन्सलैंड की टीम ने किया है। परिणाम में यह सामने आया है कि, कीड़ा पॉलिस्टाइरीन और स्टाइरीन के टुकड़ों को खाकर पूरी तरह से खत्म करता है। ये प्लास्टिक खाने-पीने के कंटेनर और कार के पार्ट्स बनाने में उपयोग होते हैं।
बैक्टीरिया का होगा प्रयोग
रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक को रिसाइकिल करने में इस कीड़े का नहीं, बल्कि इसकी आंत में मौजूद बैक्टीरिया का उपयोग होगा। दरअसल, बैक्टीरिया ही है जो प्लास्टिक को पचाने में मदद करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी मदद से हाई क्वालिटी बायोप्लास्टिक बनाया जा सकता है। बायोप्लास्टिक को जैविक चीजों से बनाया जाता है।