PADMA AWARDS: सेवा, सद्भावना और समर्पण की वो मिसालें, जिनकी ज़िद और जुनून से रची जा रही है नए भारत की राह!

कारात्मक बदलाव की कहानी हमेशा टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों से होकर गुजरती है। ऐसे ही मुश्किल और कई परेशानियों से गुजरे होंगे ये साधारण दिखने वाले ये असाधारण लोग, जिन्हें इस साल पद्म अवार्ड से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में 7 लोगों को पद्म विभूषण, 10 लोगों को पद्म भूषण और 102 लोगों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इन लोगों में कुछ ऐसे भी लोग शामिल हैं जिन्होंने अपने ज़िद और जुनून से समाज को एक नई दिशा दी है।


फल बेचकर स्कूल खोलने वाले हरेकला हजब्बा को मिला पद्मश्री सम्मान
कर्नाटक के हरेकला हजब्बा कभी स्कूल नहीं गए। फल बेचकर अपना जीवन चलाने वाले हजब्बा 68 साल के हैं। उन्हें हमेशा इस बात का मलाल रहा कि वह कभी स्कूल नहीं गए। ऐसे में उन्होंने तय किया कि उनकी भावी पीढ़ी को शिक्षा से वंचित नहीं रहना पड़े। हरेकला हजब्बा के गांव नयापड़ापु में एक भी स्कूल नहीं था। उन्होंने स्कूल खुलवाने के लिए अपनी पूरी कमाई लगा दी। हरेकला की एक दिन की कमाई 150 रूपए मात्र है लेकिन उन्होंने इस बात की चिंता नहीं की, कि स्कूल के लिए पैसे कहां से आएंगे। आज नयापड़ापु में उनके द्वारा खोला गया प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज के तौर पर अपग्रेड होने की तैयारी कर रहा है।


जंगलों की सेवा करने वाली ‘पद्मश्री’ तुलसी गौड़ा
तन भर ढकने के कपड़े पहने और नंगे पांव सम्मान लेने पहुंची तुलसी गौड़ा जब अवार्ड लेने पहुंची तो उनकी सादगी को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। उनके सम्मान में तालियों की गड़गड़ाहट रूक नहीं रही थी। और उनका बड़प्पन काबिले तारीफ था। जंगलों की Encyclopedia के नाम से मशहूर तुलसी गौड़ा कर्नाटक के होनाली गांव की रहने वाली हैं। उन्हें यह सम्मान जंगलों की निस्वार्थ सेवा के लिए दिया गया है। तुलसी गौड़ा ने अब तक लगभग 30 हजार से ज्यादा पौधे लगाएं हैं। पर्यावरण को बचाने का यह काम उन्हें वाकई दुनिया से अलग पहचान देता है। यह वाकई गर्व की बात है कि वह एक भारतीय हैं और पृथ्वी को बचाने का उनका यह काम अतुलनीय है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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