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स्थानीय लोगों ने झील को दिया पुनर्जन्म
श्रीनगर का खुशालसर झील गंदगी और कचरे की भरमार से विलुप्त होने की कगार पर थी। यह झील 1.6 किमी लंबी और 600 मीटर चौड़े कचरे के मैदान में तब्दील हो चुकी थी। लेकिन कहते हैं “जहां चाह है वहीं राह है”। श्रीनगर के लोगों ने कचरे को खत्म करने की ठान ली। बस फिर क्या था सिर्फ चार महीने में स्थानीय लोगों ने मिलकर कचरे को साफ कर दिया। करीब 1000 ट्रक कचरा इस झील से निकाला गया। इस काम में करीब 15 लाख रुपए खर्च हुए। वो भी बिना किसी सरकारी मदद के और अब खुशालसर झील वापस ताज़ी हवा में सांस ले रही है।
इस बात से हर इंसान को ये सीख लेनी चाहिए कि प्रकृति की जिम्मेदारी हम सभी की है। कचरे को ना कहें क्योंकि ये हमारी अमूल्य धरोहरों को खत्म कर सकती है। फरवरी के महीने में झील कचरे की वजह से विलुप्ति के कगार पर था लेकिन अब खुशालसर झील लोगों को लिए प्रेरणा बन रहा है।