Highlights-
- किशोर अपराधियों के लिए ‘बाल मित्र थाना’ स्थापित किया जा रहा है।
- किशोर अपराधियों के लिए घरेलू वातावरण व सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है।
- बाल मित्र थानों की दीवारों को मोटिवेशनल कविताओं, संदेशों और नारों से सजाया गया है।
बचपन के दिन जिंदगी के हसीन पलों में से एक होते है। इस उम्र में बच्चे दुनियादारी की चिंता छोड़ कर अपनी जिंदगी में मस्त रहते हैं। लेकिन कुछ बच्चे इस कम उम्र में ही अपराधों में फंस जाते हैं। कोई मजबूरियों के कारण तो कोई गलत संगती की वजह से गलत राह पर चले जाता है। बिहार पुलिस ने इन किशोर अपराधियों के लिए ‘बाल मित्र थाना’ स्थापित करने का निर्णय लिया है। प्ले स्कूल की तर्ज पर तैयार किया गया यह पुलिस स्टेशन बेसहारा बच्चों और किशोर अपराधियों के लिए घरेलू वातावरण देने के लिए बनाया गया है। यहां उन्हें बड़े अपराधियों का शिकार बनने से रोका जा सकेगा।
पहले भी बनें हैं प्लेफुल थाने
कुछ ऐसे प्लेफुल स्टेशन को पहले भी बनाया जा चुका है। दो पुलिस स्टेशन पूर्णिया और नालंदा जिलों में एक्सपैरिमैन्टल बेसिस पर पहले ही खोले जा चुके हैं। बाल मित्र थानों की दीवारों को मोटिवेशनल कविताओं, संदेशों और नारों से सजाया गया है। साथ ही बच्चों को प्रेरित करने के लिए ‘छोटा हनुमान’ और ‘बाल कृष्ण’ की पेंटिंग भी दिवारों पर बनाई गई है।
थाने की सुविधाएं
बाल मित्र थाने में बच्चों के मनोरंजन के लिए सामग्रियों की भी व्यवस्था की जा रही है। यहां बच्चों के लिए प्लेइंग किट, टॉफी, बिस्किट और कॉमिक बुक की व्यवस्था की गई है। बाल मित्र थाना को महिला पुलिस कर्मियों द्वारा संचालित किया जाएगा। यह महिला पुलिस कर्मी सिविल में तैनात रहेंगी ताकि बच्चे भयभीत न हों।
बच्चों के लिए बनाया खुशनुमा महौल
यह चाईल्ड फ्रैन्डली पुलिस स्टेशन किशोर अपराधियों को अपराध करने या हिस्ट्री शीटर्स द्वारा शोषण किए जाने से बचने में मदद करेंगे। पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक दयाशंकर ने कहा कि जिले में बाल मित्र थाना वर्तमान में जिला मुख्यालय स्थित सदर थाना परिसर के एक कमरे से संचालित हो रहा है। प्ले स्कूल में कमरे की दीवारों को इस तरह से खुशनुमा बना दिया गया है ताकि बच्चों को थाने में होने का अहसास न हो और घर जैसा माहौल मिले।
चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन
महिला पुलिस कर्मियों की एक समर्पित टीम को चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन के लिए काम सौंपा गया है। एसपी दयाशंकर ने कहा, “यह बाल तस्करी की घटनाओं को रोकने के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है। इस पूरी कवायद के पीछे विचार यह है कि अपराधियों को अच्छे नागरिक के रूप में तैयार किया जाए और उन्हें बुरी संगत में पड़ने से बचाया जाए”।