

Supreme Court: जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice Uday Umesh Lalit) भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) के रुप में नियुक्त हो गए हैं। इसे लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने नियुक्ति आदेश जारी किया है। न्यायमूर्ति ललित 27 अगस्त को सीजेआई (CJI) का पद ग्रहण करेंगे। वर्तमान में सीजेआई एनवी रमण (CJI NV Raman) ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त होने पर बधाई दी है।
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण 26 अगस्त को अपने पद से रिटायर होंगे। कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में यह कहा गया है कि- संविधान के अनुच्छेद 124 के उपबंध-2 के प्रावधानों के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश उदय उमेश ललित को भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करती है। उनकी नियुक्ति 27 अगस्त 2022 से प्रभावी हो जाएगी।
जस्टिस यूयू ललित के बारे में
जस्टिस यूयू ललित का महाराष्ट्र (Maharashtra) के सोलापुर (Solapur) से संबंध है। 9 नवंबर 1957 को इनका जन्म हुआ था। साल 1983 में न्यायमूर्ति यूयू ललित पहली बार महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल (Bar Council) में वकील के रूप में नामांकित हुए थे। जस्टिस यूयू ललित दिल्ली आने से पहले दिसंबर 1985 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में प्रैक्टिस कर रहे थे। वे क्रिमिनल लॉ के एक्सपर्ट हैं।
उदय उमेश ललित (Uday Umesh Lalit) दूसरे ऐसे चीफ जस्टिस (Chief Justice) बनेंगे जो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज बनने से पहले किसी हाईकोर्ट (High Court) में जज नहीं रहे थे। उनसे पहले साल 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एसएम सीकरी ने इस उपलब्धि को हासिल की थी।
सुना चुके हैं कई महत्वपूर्ण फैसले
स्टिस यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच में शामिल रह चुके हैं जिसने अगस्त 2017 में तीन तलाक को गैरकानूनी, असंवैधानिक ठहराया। यही नहीं यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार भी दिया था। उनकी अगुवाई वाली पीठ ने ही पाक्सो कानून के तहत मुंबई हाईकोर्ट के ‘त्वचा से त्वचा’ संपर्क से संबंधित विवादित फैसले को खारिज भी किया था।