JAL JEEVAN MISSION: भौगोलिक चुनौतियों की बाधा को हराकर लेह के 12 गांवों तक पहुंचा नल का जल!

भारत के सबसे ऊपरी छोर में हिमालय की तलहटी में बसा है सुंदर लेह। उत्तरी हिमालय में बसा यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से काफी समृद्ध है। उत्तरी हिमालय में 11,562 फीट की ऊंचाई पर बसा लेह शहर का अधिकाँश भाग ज्यादातर समय बर्फ से ढका रहता है। लेकिन इन दिनों लद्दाख का एक गांव उमला चर्चा में है। क्योंकि उमला में अब लोगों को नल से पानी मिल सकेगा। और यह मुमकिन हो पाया है ‘जल जीवन मिशन’ से।

सड़क संपर्क नहीं, फिर भी हो रही पानी की आपूर्ति
Government press release, के अनुसार जल जीवन मिशन के तहत लेह के 60 गांवों में से 12 गांवों को 100% नल कनेक्शन मिला है। लेह के remote area में बसा है डिप्लिंग गांव। इस गांव मे कोई सड़क संपर्क नहीं है। लेकिन इतनी कठिनाइयों के बावजूद, स्थानीय प्रशासन जल जीवन मिशन सामग्री जैसे पानी के पाइप को पहुंचाने के लिए हवाई उड़ानों का उपयोग कर रहा है।
JJM के तहत अब 24,767 घरों के मुकाबले 5,425 घरों को 100 फीसदी नल कनेक्शन मिले हैं। JJM ने इस मिशन के अंतर्गत 12 गांवों को कवर किया है । इन 12 गांवों मे डिप्लिंग जैसे दूरदराज के गांव शामिल हैं, जहां कोई सड़क संपर्क नहीं है। ऐसा ही एक गांव है उमला, जिसके निवासी सदियों से पानी तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय कर रहे थे। अब उनके दरवाजे पर 100 फीसदी पानी की आपूर्ति के साथ नल से उपलब्ध है।

उमला की कहानी को बयां करती तस्वीर
सोशल मीडिया पर पोस्ट इस तस्वीर से ही लद्दाख के इस गांव के लोगों की खुशी को महसूस किया जा सकता है। 8 नवंबर को एक छोटी बच्ची और उसकी दादी की एक तस्वीर ट्वीट की गई थी। इस तस्वीर में बच्चे को नल से Container में पानी भरते हुए दिखाया गया है।
भरत लाल ने ट्विटर पर कहा: “जल जीवन मिशन बदल रहा है जीवन: उमला लद्दाख के लेह जिले के 12 गांवों में से एक है, जहां हर घर में अब शून्य से कम तापमान में भी नल के पानी की आपूर्ति का आश्वासन दिया है। इस छोटी बच्ची और उसकी दादी के चेहरे पर जो खुशी है, वही असली संतोष है।”

जल, विशेषज्ञ और हल
आम तौर पर, विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा जल आपूर्ति स्रोतों की समर्थन क्षमता को बनाए रखना है। पीने के पानी की आपूर्ति देने के पिछले प्रयासों में, जल स्रोतों से जुड़े शहर , पानी की कमी के कारण कुछ वर्षों के बाद वापस “no-water” की स्थिति में आ गए।
रख-रखाव को बनाए रखने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों पर काम करने की आवश्यकता होगी। इनमें groundwater re-energize, water preservation और मूल रूप से बागवानी में पानी के दुरुपयोग को रोकना शामिल है ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व जल विशेषज्ञ ,आलोक नाथ कहते हैं, ” India needs to cut down its homestead water use to ideal levels for more noteworthy maintainability of groundwater, the main wellspring of water for human utilization ”
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Dr. Kirti Sisodhia

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