HIGHLIGHTS:
- 21 फरवरी को मनाई जाती है अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
- अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को UN ने 2002 में दी गई मान्यता
- दुनियाभर में बोली जाने वाली 7000 भाषाओं में से 2000 भारत की
International Mother Language Day हर साल 21 फरवरी को दुनियाभर में मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली भाषाओं को मंच देने और एक-दूसरे से जोड़ने के लिए यूनाइटेड नेशन्स ने साल 2000 में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मान्यता दी। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के विचार को रखते हुए साल 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि- “यूनेस्को सभी स्थापित समाजों के लिए सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के महत्व में विश्वास करता है। यह शांति के लिए लोगों के बीच संस्कृतियों और भाषाओं में अंतर को संरक्षित करने के लिए काम करता है जो दूसरों के लिए सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देता है।”
International Mother Language Day मनाने के पीछे का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे बंगाल का भाषा आंदोलन महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। दरअसल 21 फरवरी, 1952 को बांग्लादेशियों ने अपनी मातृभाषा को बचाने के लिए एक लंबी लड़ाई की शुरूआत थी। जो कि बंगालियों पर ऊर्दू को थोपने से बचाने के लिए लड़ी गई। यह लड़ाई 1971 के भारत-पाक युद्ध तक चली जिसके बाद बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति मिली। इस दिन को बांग्लादेश में ‘एकुशे (इक्कीसवीं) के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद ही साल 2000 में, बांग्लादेश की एक पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र के द्वारा, 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया गया।
International Mother Language Day 2022 की Theme
बदलते दौर और तकीनीकी समृद्धता के बीच के अंतर को खत्म करने के लिए इस साल अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2022 का विषय “Using technology for multilingual learning: Challenges and opportunities ” रखा गया है । इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के विकास का समर्थन करने और बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।
भारतीय भाषाओं का गर्व
भारतीय संस्कृति में जितनी विविधता है उतनी ही विविधता यहां की भाषाओं में भी है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारतीय भाषाओं और स्थानीय बोलियों की बात की जाए तो दुनियाभर की लगभग 7000 भाषाओं में 2000 भाषाएं सिर्फ भारत में है। इसके साथ ही जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 19,500 से अधिक भाषाएँ या बोलियाँ मातृभाषा के रूप में बोली जाती हैं। भारत में 121 भाषाएँ हैं जो 10,000 या उससे अधिक लोग उपयोग करते हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भारतीय भाषाएं शामिल हैं। जिनमें असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी भाषाएं हैं।