भारतीय तिरंगे में लिपटा यह सबमरीन भारतीय शक्ति का प्रतीक है। जिसके नौसेना में शामिल होने से भारतीय नौसेना की शक्ति पहले से ज्यादा बढ़ गई है। 25 नवंबर 2021 को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल INS वेला भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगी। स्पेशल स्टील से बनी इस सबमरीन में हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ की क्षमता है। जो समुद्र में गहराई तक जाकर ऑपरेट करने में सक्षम है। इस सबमरीन की स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे रडार सिस्टम को धोखा देने के काबिल बनाती है, यानी कि रडार इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा। और यह दुश्मन को भनक लगाए बिना ही उसे खत्म कर सकती है। इसके अलावा INS Vela को किसी भी मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है।
INS वेला की खूबियां
शक्ति की शानदार क्षमता वाला INS वेला समुद्र में उतरते ही प्रभावशाली तरीके से दुश्मन को पानी के भीतर ही डुबो सकती है। ‘वेला’ उन्नत हथियारों और सेंसर से लैस है। इस सबमरीन को Technical Integrated Combat System से बनाया गया है जिसे सबटिक्स कहा जाता है। सबमरीन की समुद्री स्किमिंग मिसाइलों की फ्लाइंग फिश या भारी वजन वाले तार-निर्देशित टॉरपीडो के रूप में भी पहचान है। नौसेना के इंजीनियरों और ITT दलों की देखरेख में इस सबमरीन का निर्माण हुआ है। इस पनडुब्बी का निर्माण ‘आत्म निर्भर भारत’ में मील का पत्थर साबित होगा।
एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक INS वेला में आठ अधिकारी और 35 दूसरे कर्मी एक समय में सेवा दे सकेंगे। इसमें C-303 एंटी टारपीडो काउंटर मेजर सिस्टम लगा है। इसमें 18 टारपीडो हैं। करीब 30 एंटी शिप मिसाइल और इतनी ही माइंस भी इसमें है। 67.5 मीटर लंबी और करीब 12.5 मीटर ऊंची ये सबमरीन 20 नॉटिकल की गति से समुद्र के अंदर तैरेगी। इस सबमरीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें शोर बहुत कम होता है यानी कि कम शोर में दुश्मन को चुपचाप ध्वस्त करने में सक्षम है।
प्रोजेक्ट 75 के तहत INS वेला का निर्माण हुआ है। इसी प्रोजेक्ट के तहत कुछ और सबमरीन भारतीय नौसेना में शामिल होंगे।
स्वदेशी है सबमरीन INS वेला
दरअसल भारत सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप जो कि पहले डीसीएनएस था। उसके साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था। इस डील की कीमत 3.5 बिलियन यूएस डॉलर थी। जिसका पालन करते हुए INS वेला को भारत में तैयार किया गया। यह एक स्वदेशी सबमरीन है, जिसे ‘MAKE IN INDIA’ अभियान के तहत तैयार किया गया है।