Positivity: दुनिया की सबसे बड़ी आबादी बनने की राह पर भारत, जानें कैसे चुनौती के साथ बन सकती है यह शक्ति!


भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की राह पर है। लगभग 1.4 बिलियन लोगों की आबादी के साथ हमारा देश अब विश्व का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन गया है। भले ही वैश्विक स्तर पर ऐसे लोग जो भारत के मित्र देश नही हैं वो ये राय रखते हों की ये नकारात्मक है, लेकिन भारतीय विशेषज्ञ इसे अवसर के तौर पर देख रहे हैं। दरअसल भारत की बड़ी आबादी में ज्यादातर युवा हैं, जिनकी औसत उम्र 28.2% तक है। यह बड़ी आबादी एक चुनौती की जगह पर शक्ति का स्रोत भी हो सकती है।

इसके लिए भारत अपने लोगों में निवेश कर सकता है और उन्हें शिक्षा और कौशलयुक्त करने के लिए कई बेहतर स्टेप्स उठा सकता है। जिससे यह अपनी बड़ी आबादी का फायदा शक्ति के रूप में उठा सकता है। इसमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, नए प्रयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने की असीमित क्षमता है।

जनसांख्यिकीय लाभांश का सही इस्तेमाल

अगर इसे अवसर के रूप में देखें तो भारत अपने लोगों में निवेश करके अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा ले सकता है। यानी कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और नौकरी के अवसर प्रदान होंगे। भारत को एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत होगी जो व्यापार और निवेश के अनुकूल हो। अगर भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाता है तो वह वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है।

शिक्षा-कौशल विकास में निवेश (Investment in education and skills)

भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में निवेश करने की जरूरत है कि लोगों के पास वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा करने के लिए जरूरी कौशल बनें। इसमें प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा में निवेश करना होगा। इससे भारत तेजी से विकसित हो रही वैश्विक अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा करने के लिए अपने बढ़ते कार्यबल को आवश्यक कौशल प्रदान कर सकता है। यह उत्पादकता में वृद्धि के साथ नवाचार को प्रोत्साहित करेगा और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मददगार होगा, जिससे स्थायी आर्थिक विकास हो सकेगा।

उद्यमिता, नवाचार और नौकरी निर्माण में सहायक (Enterprise, Innovation and Jobs creation)

उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना और नवाचार को बढ़ावा देना भी एक महत्वपूर्ण कारक होगा। उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देकर और एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करके, भारत अपनी युवा आबादी को व्यवसाय शुरू करने, नौकरी के अवसर पैदा करने और आर्थिक विकास को चलाने के लिए मजबूती प्रदान कर सकता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास (Infrastructure development)

भारत की बढ़ती आबादी का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश सबसे जरूरी बात है। परिवहन नेटवर्क का आधुनिकीकरण, मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का निर्माण, स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच का विस्तार, और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना, ये सभी कदम भारत को उठाने होंगे। बेहतर बुनियादी ढांचा जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाएगा, निवेश आकर्षित करेगा और वस्तुओं और सेवाओं के निर्बाध आवागमन की सुविधा देगा।

महिला अधिकारिता और लैंगिक समानता का विकास (Women empowerment and Gender-equality)

फिलहाल भारत दुनिया में सबसे कम महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में शामिल है। इसीलिए कोई देश निर्णायक रूप से कैसे आगे बढ़ सकता है जब उसकी 49% आबादी मुख्यधारा में ही शामिल नहीं होगी।महिलाओं को सशक्त बनाना और लैंगिक समानता सुनिश्चित करना भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने का एक मूलभूत पहलू साबित हो सकता है।

शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए समान अवसर प्रदान कर भारत अपनी महिला कार्यबल की अपार क्षमता का दोहन कर सकता है।

ग्रामीण-शहरी एकीकरण (Rural-urban integration and Skill migration)

समावेशी विकास के लिए ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव को संतुलित करना सबसे बड़ा कार्य होगा। पर्याप्त बुनियादी ढांचे, शैक्षिक संस्थानों और नौकरी के अवसरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों का विकास कुशल श्रम के शहरी केंद्रों में प्रवास को कम किया जा सकता है।

भारत फिलहाल एक दोराहे पर खड़ा है। लेकिन हम इसका भी उदाहरण हैं कि विपरीत परिस्थितियों में हमने खुद को कई बार साबित भी किया है। ऐसे में ये निश्चित है कि ये अपने जनसांख्यिकीय लाभांश को अपनाने और वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने का विकल्प चुन सकता है।

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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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