वेस्ट को बेस्ट बनाने की मुहिम- THAELY: ‘DON’T JUST DO IT. DO IT RIGHT!

‘थैली’ एक ऐसा Start-up जिसने मुहीम शुरू की है दुनिया को प्लास्टिक कचरे से बचाने की। ‘Don’t Just Do It. Do It Right! की तर्ज पर काम करने वाले इस स्टार्ट-अप को शुरू किया है 23 साल के Ashay Bhave ने। उनके इस स्टार्ट-अप का उद्देश्य हर साल उपयोग होने वाले 100 अरब प्लास्टिक बैग्स की समस्या का हल खोजना है।

क्यों चर्चा में है Thaely ?
Ashay Bhave का यह स्टार्ट-अप तब चर्चा में आया जब आनंद महिंद्रा ने नार्वे के पूर्व डिप्लोमैट और UN Environment Chief- Erik Solheim के ट्विट को देखा। आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया में काफी एक्टिव हैं और उन्हें हमेशा क्रिएटिव और इनोवेशन से जुड़े लोगों का हौसला आफजाई करते हुए देखा जा सकता है। आनंद महिंद्रा ने Erik Solheim के इस ट्विट को देखने के बाद इस Start-up की तारीफ करते हुए कहा कि- “मुझे अफसोस है कि मैं इस प्रेरणादायी स्टार्ट-अप के बारे में नहीं जानता था। हमें ऐसे स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन देना चाहिए। मैं आज ही एक जोड़ी जूते खरीदने जा रहा हूं।” उन्होंने इस स्टार्ट-अप की फंडिंग करने की इच्छा भी जताई है।


कौन है Ashay Bhave और कैसे अपने Start-up से कर रहे हैं पर्यावरण की मदद ?
अखबारों में छपी खबर के मुताबिक Ashay Bhave 23 साल के हैं। और उन्होंने बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की है। वे एक Entrepreneur हैं जिन्होंने थैली नाम की एक कंपनी खोली है। ‘थैली’ प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकिल कर स्नीकर्स बनाती है। आशय भावे ने अपने इस Start-up को 2021 में शुरू किया था।

कैसे बनते हैं Thaely के स्नीकर्स?
एक जोड़ी जूते बनाने के लिए 12 प्लास्टिक बोतल और 10 प्लास्टिक बैग की जरूरत होती है। जूते बनाने के लिए प्लास्टिक बैग को गर्मी और प्रेशर की मदद से ThaelyTex नाम के Fabric में बदला जाता है। इसके बाद इसे शू पैटर्न में बदला जाता है। इन प्लास्टिक बोतलों से लाइनिंग, शूलेस, पैकैजिंग और भी दूसरे पार्ट्स बनाए जाते हैं। जूते के सोल रिसाइकल रबर से बनाए जाते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार अरबों पाउंड प्लास्टिक पृथ्वी पर पानी के स्त्रोतों खासकर समुद्रों को प्रदूषित कर रहे हैं। 50 प्रतिशत प्लास्टिक की चीजें जिन्हें हम सिर्फ एक बार उपयोग कर फेंक देते हैं उन्हें पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 1,000 साल तक लग जाते हैं। प्लास्टिक के उत्पादन में पूरे विश्व के कुल तेल का 8 प्रतिशत तेल खर्च हो जाता है। और सालाना कई समुद्री जीवों की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में आशय का यह Start-up उन हजारों करोड़ लोगों को प्रेरित करेगा जो दुनिया को प्रदूषित होने से बचाना चाहते हैं।
Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

info@seepositive.in
Rishita Diwan – Chief editor

8839164150
Rishika Choudhury – Editor

8327416378

email – hello@seepositive.in
Office

Address: D 133, near Ram Janki Temple, Sector 5, Jagriti Nagar, Devendra Nagar, Raipur, Chhattisgarh 492001

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.
CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.